महिला आयोग में अध्यक्ष-सदस्यों के बीच टकराव, नोटिस तामिली पर शुरू हुआ विवाद

रायपुर। राज्य महिला आयोग में नोटिस की तामिली को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। आयोग अध्यक्ष किरणमयी नायक द्वारा पुलिस अधीक्षकों को सीधे पत्र भेजने पर सदस्य लक्ष्मी वर्मा और दो अन्य सदस्यों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि किसी भी अधिकारी को नोटिस भेजने या बुलाने का अधिकार केवल आयोग सचिव के माध्यम से ही होता है।
सदस्यों ने महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव को पत्र भेजकर आग्रह किया है कि पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया जाए कि वे सिर्फ आयोग सचिव के हस्ताक्षर वाले पत्र पर ही नोटिस तामिल करें। लक्ष्मी वर्मा ने कहा कि अध्यक्ष द्वारा सीधे पत्र भेजना कार्यालयीन प्रक्रिया और आयोग अधिनियम का उल्लंघन है। उनके अनुसार, आयोग का संचालन कानूनी प्रावधानों के अनुरूप नहीं हो रहा और इसमें “स्वेच्छाचारिता” हावी है।
वहीं, आयोग अध्यक्ष किरणमयी नायक ने इन आरोपों को “अजीबोगरीब” बताते हुए तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सदस्यों को न तो कानून की जानकारी है और न ही अध्यक्ष की शक्तियों की समझ। उन्होंने कहा कि आयोग का काम पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाना है, न कि अफसरों को बचाना। उनका दावा है कि महिला आयोग अकेला ऐसा संस्थान है जो किसी भी अधिकारी को सीधे बुला सकता है।
सदस्य लक्ष्मी वर्मा ने अपने दावों को कानूनी आधार देते हुए आयोग अधिनियम की धारा 5 और प्रक्रिया विनियमन 1998 की कंडिका 13 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि सभी आदेश और पत्राचार सचिव या समान पद के अधिकारी द्वारा प्रमाणित होने चाहिए।
विवाद उस समय और बढ़ गया जब शुक्रवार को एक गुढ़ियारी प्रकरण की सुनवाई के बाद अध्यक्ष ने रायपुर एसपी को निगम अधिकारियों को नोटिस तामिल कराने के लिए पत्र लिखा। महिला ने आरोप लगाया था कि निगम अधिकारियों ने मकान दिलाने के नाम पर उनसे 3 हजार रुपए लेकर घर तोड़ दिया, लेकिन अब तक मकान नहीं दिया। इस पूरे मामले ने आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और अब विभागीय स्तर पर हस्तक्षेप की मांग बढ़ गई है।



