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SIR अभियान के बीच बढ़ी चिंता: 19 दिन में 6 राज्यों में 15 बीएलओ की मौत, काम के दबाव पर उठे सवाल

दिल्ली। देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) अभियान के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) की लगातार हो रही मौतों ने चिंता बढ़ा दी है।

सिर्फ 19 दिनों के भीतर 6 राज्यों में 15 बीएलओ की मौत दर्ज की गई है। इनमें गुजरात और मध्य प्रदेश से 4-4, पश्चिम बंगाल से 3, जबकि राजस्थान, तमिलनाडु और केरल से एक-एक मौत सामने आई है।

21 नवंबर की रात से 22 नवंबर के बीच मध्य प्रदेश में दो बीएलओ की ‘बीमारी’ के कारण मौत हुई। भोपाल में शनिवार को दो बीएलओ कार्य के दौरान हार्ट अटैक का शिकार होकर अस्पताल में भर्ती कराए गए।

पश्चिम बंगाल में एक महिला बीएलओ ने काम के दबाव में आत्महत्या कर ली। कई मामलों में परिजनों ने साफ कहा कि अत्यधिक कार्यभार, देर रात मीटिंग्स और टारगेट पूरा करने के दबाव ने कर्मचारियों की जान ले ली।

निर्वाचन आयोग की ताजा रिपोर्ट बताती है कि राजस्थान में डिजिटलाइजेशन का काम सबसे तेज चल रहा है—60.54% फॉर्म डिजिटल हो चुके हैं। वहीं केरल इस मामले में सबसे पीछे है, जहां सिर्फ 10.58% फॉर्म डिजिटलाइज हुए। अभियान में अब तक 98.98% फॉर्म बीएलओ को बांटे जा चुके हैं।

पश्चिम बंगाल के नदिया में बीएलओ रिंकू का शव छत से लटका मिला, सुसाइड नोट भी बरामद हुआ। राजस्थान में जयपुर के बीएलओ मुकेश जांगिड़ ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी, जबकि करौली में एक और बीएलओ की मौत हुई। गुजरात में चार दिनों में चार बीएलओ की बीमारी से मौत हुई है।

मध्य प्रदेश में हालात और गंभीर हैं। रायसेन में बीएलओ रमाकांत पांडे की मौत के बाद यह खुलासा हुआ कि वे लगातार चार रातों से नहीं सोए थे। दमोह में फॉर्म भरते समय सीताराम गोंड की तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई।

रायसेन के बीएलओ नारायण सोनी छह दिन से लापता हैं। लगातार मौतों ने SIR अभियान की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और अब इन कर्मचारियों पर काम के दबाव को लेकर व्यापक समीक्षा की मांग हो रही है।

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