
अनिल गुप्ता@दूर्ग। शहर के लोगों पर हमला करने वाले बंदरों को आखिरकार वनविभाग की टीम ने पकड़ लिया है। बंदरों का रेस्क्यू करने के बाद उन्हें फिलहाल मैत्रीबाग जू में रखा गया है। लेकिन वन विभाग इन बंदरों को जल्द ही बाघ नदी के जंगल में छोड़ने की तैयारियां कर रहा है।
बंदरो के आतंक से परेशान दुर्ग शहर के लोगों को अब निजात मिल चुका
पिछले 5 दिनों से बंदरो के आतंक से परेशान दुर्ग शहर के लोगो को अब निजात मिल चुका है। अपने झुंड से अलग होकर तीन बंदर शहर के करीब 10 से ज्यादा लोगो को काट चुके हैं। वही तीन लोगो का शासकीय व निजी अस्पताल में ईलाज चल रहा है। बंदरो के आतंक से परेशान होकर कसारीडीही वार्ड के नागरिकों ने वनविभाग को सूचना दिया। इसके बाद बंदरो को पकड़ने के लिए वनविभाग की टीम भी लगातार तीन से चार दिनों तक मेहनत करती रही। और एक-एक करके आखिरकार तीनो बंदरों का रेस्क्यू कर लिया गया हैं।
वनविभाग के डीएफओ शशिकुमार का कहना है, कि दीपावली के समय किसी शरारती तत्व ने बंदरो के झुंड पर पटाखे की लड़ी फेक दी थी। और उसी से परेशान होकर तीन बंदर झुंड से भटक गये। और इसके बाद उनके व्यवहार में भी परिवर्तन आने लगा। और इसके बाद झुंड से बिखरे बंदर आक्रमक होकर लोगों को काटना शुरू कर दिया। डीएफओ ने यह भी कहा, कि वर्तमान में बंदरों का झुंड शहर में ही है। और शहर के लोगो से उनकी अपील भी है, कि बेवजह इन वन्यजीवों के साथ छेड़खानी न करे। क्योकि छेड़खानी करने के बाद ही वे हिंसक होकर प्रतिक्रिया करते हैं। लोगो में जागरूकता लाने के लिए 14 नवंबर को एक नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन विभाग द्वारा तय किया गया है। जिसमे स्कूली बच्चों को यह बताया जायेगा कि वन्य जीवों के प्रति मनुष्य का व्यवहार किस तरह का होना चाहिए।
बंदरों का वनविभाग के द्वारा रेस्क्यू
दुर्ग शहर में अचानक से बंदरो के हिंसक होने से लोगो मे भी दहशत छाया हुआ था, लेकिन अब झुंड से अलग हुये बंदरो को वनविभाग के द्वारा रेस्क्यू कर लिया गया है। और विभाग इन बंदरो को बाघनदी के जंगलों में छोड़ने की तैयारियां कर रहा है। लेकिन इस तरह की घटनाओं से शहर के लोगो को भी जागरूक होने की जरूरत है। क्योंकि वन्यजीवों की प्रवृत्ति हिंसक होती है। और कोई भी मनुष्य यदि क्रिया करेगा। तो निश्चित ही ये वन्यप्राणी भी अपनी प्रतिक्रिया जरूर करेंगे।