साय सरकार में अबूझमाड़ का विकास, तीसरा पुल बनकर तैयार, स्थानीय लोगाें को मिलेगी राहत

रायपुर। अबूझमाड़, जो कभी नक्सलियों के प्रभावी क्षेत्र के रूप में जाना जाता था, अब उनके लिए सुरक्षित नहीं रह गया है। सीआरपीएफ जवानों की लगातार ऑपरेशनों और सफलताओं से यह क्षेत्र अब नक्सलियों के कब्जे से बाहर हो चुका है।
अब, यहां तक पहुंचने के लिए सबसे बड़ी बाधा, इंद्रावती नदी, पर तीसरा पुल बनकर तैयार हो रहा है। अबूझमाड़ तक पहुंचने के लिए इंद्रावती नदी एक बड़ी रुकावट थी, लेकिन इस नदी पर तीन पुल बनने से अब यह रास्ता आसान हो गया है। पहले, दंतेवाड़ा और बीजापुर के बीच दो पुल बन चुके थे, जिससे अबूझमाड़ के 50 से ज्यादा गांवों को बड़ा फायदा हुआ है। अब फुंड़री के पास तीसरे पुल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है, और यह पुल जल्द ही बारिश से पहले पूरी तरह तैयार हो जाएगा।
12 पंचायतों को मिलेगा सीधा फायदा
इस पुल के बनने से अबूझमाड़ के 12 ग्राम पंचायतों के लोग सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग 63 से जुड़ जाएंगे। इससे अबूझमाड़ में आने-जाने की सुविधा बढ़ जाएगी और यहां की 50 से अधिक गांवों को भी एक नई राह मिलेगी।
पुल पर सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ का कैंप स्थापित किया गया है। जवान 24 घंटे इस पुल और आसपास की गतिविधियों पर नजर बनाए रखते हैं। पुल पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, और किसी भी आने-जाने वाले व्यक्ति से पूछताछ की जाती है। यह पुल 648 मीटर लंबा होगा और 35 करोड़ 60 लाख की लागत से तैयार हो रहा है। नेशनल हाइवे और बांगोली की तरफ एप्रोच सड़क का निर्माण भी किया जा रहा है।
नक्सलियों की गतिविधियों पर लगेगा अंकुश
अबूझमाड़ का यह तीसरा द्वार खुलने से यहां जवानों की मौजूदगी बढ़ेगी और नक्सलियों की गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। पहले नक्सली बारिश के दौरान यहां स्वतंत्र रूप से ट्रेनिंग कैंप चलाते थे, लेकिन अब इस पुल के बनने से उनका यह फायदा भी खत्म हो जाएगा। यह पुल 2018 में सुरक्षा के बीच शुरू हुआ था, क्योंकि नक्सली इस निर्माण कार्य में हमेशा रुकावट डालने की कोशिश करते थे और जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए आईईडी जैसी घटनाओं को अंजाम देते थे। लेकिन अब यह पुल बनकर तैयार हो रहा है, जिससे नक्सलियों के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी।