Bijapur: छटी लाल आतंक की धुंध, 16 बरस बाद बच्चों को मिली पढ़ने की आजादी, 3 गांवों के 300 बच्चे अब कर सकेंगे प़ढ़ाई

दंतेश्वर कुमार@बीजापुर। (Bijapur) स्वाधीनता दिवस से ठीक दो दिन पहले छत्तीसगढ़ के सबसे सुदूर और माओवाद प्रभावित बीजापुर जिले के तीन गाँव के 300 से ज्यादा बच्चों को गाँव में पढ़ने की आजादी मिल गई।
(Bijapur) दरअसल 16 बरस बाद बीजापुर ब्लाक के पेद्दा जोजेर, चिन्ना जोजेर और कमकानार गाँव में बच्चों को स्कूल नसीब हुआ । इस मौके पर तीनों ही गाँव में जश्न का माहौल था।
एक हाथ में तिरंगा और दूसरे में स्लेट, किताब,कॉपी लिए बच्चे स्कूल पहुँचे। वाकई यह नजारा स्वाधीनता दिवस उत्सव जैसा ही था।
(Bijapur) दरअसल सन 2004, 2005 में बस्तर में माओवाद के खिलाफ सलवा जुडूम अभियान के बाद नक्सलियों ने बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर के अंदरूनी इलाको में स्कूल भवनों को निशाना बनाया था। इस दौरान अकेले बीजापुर में 3 सौ से ज्यादा स्कूल तहस नहस कर दिए गए थे। इनमें पेद्दा जोजेर,चिन्ना जोजेर , कमकानार गाँव भी शामिल है, जहां नक्सलियों ने स्कूलों को निशाना बनाया।
कड़ी चुनौती और नक्सली बंदिशों के बावजूद आखिरकार जिला कलेक्टर रितेश अग्रवाल के नेतृत्व में शिक्षा विभाग की टीम यहाँ स्कूल खुलवाने में सफल रही।
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शुक्रवार को बीइओ मो.जाकिर खान अपनी टीम के साथ मिनगाछल नदी को पैदल पार कर, पनगडण्डी और पहाड़ियों से होकर बच्चों को शाला दाखिल करने पहुँचे। नए गणवेश, पठन सामग्री पाकर बच्चों के साथ उन ग्रामीणों के चेहरों पर मुस्कान आई, जो बरसों से नक्सल दंश झेलते आ रहे। गाँव में जहाँ ना अस्पताल है ना पंचायत भवन और ना कोई पक्की सड़क, वहाँ स्कूल की नींव दोबारा पड़ने से ग्रामीणों को सुखद आश्चर्य हुआ।