राज्योत्सव एवं राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का उद्बोधन, जानिए सीएम ने क्या कहा

रायपुर। राज्योत्सव एवं राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर कर रहे नागरिकों को सीएम ने संबोधित किया है।
सीएम ने कहा कि मैं सभी राज्यों के नर्तक दल और विदेशी मेहमानों का हार्दिक स्वागत करता हूं । सभी प्रदेश वासियों को राज्य स्थापना दिवस और तीसरे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की बहुत बहुत बधाई। दुनियाभर के आदिवासी समाज के नृत्य की कलाएं बहुत हद तक समान हैं। आदिवासियों की छोटी सी इच्छा यही है कि प्रकृति पर पूरी मनुष्यता का समान अधिकार हो और मिलजुलकर संरक्षण करें। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का उद्देश्य आदिम संस्कृति को बचाये रखना है
छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बचाये रखने के लिए हमने बहुत कार्य किया है। आज का क्षण हमारे लिए आत्म गौरव का है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य समारोह का ये तीसरा आयोजन है, लेकिन इसमें देश विदेश के 1500 कलाकार प्रस्तुति देंगे। इससे आदिवासी संस्कृति के प्रसार और विनिमय का दायरा बढ़ेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मनुष्य का इतिहास जितना पुराना है उतना ही पुराना नृत्य का इतिहास है।
दुनियाभर के आदिवासियों की नृत्य शैली, वाद्ययंत्र में समानता है। आदिम नृत्य की यह परंपरा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आई है, इस तरह से हम आज यहां पहुंचे हैं। समय के बदलाव के साथ जीवन के तौर तरीके में बदलाव आया है। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों की परंपरा को बचाए रखने और पूरी दुनिया की आदिम संस्कृति आगे बढ़ाने और उनका संवर्धन करने से है।
प्रकृति पर पूरी मनुष्यता का एक जैसा अधिकार हो, सभी प्रकृति का संरक्षण करें। विकास की गलत अवधारणा के कारण आज प्रकृति ही खतरे में पड़ गयी है। छत्तीसगढ़ आदिवासियों और किसानों का प्रदेश है। राज्य के आंदोलन में जिन मूल्यों को लेकर आंदोलन हुआ, हमारी सरकार उस सोच को लेकर आगे बढ़ रही है।