Chhattisgarh: 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता दिवस, जानिए कैसे हरी पत्तेदार सब्जियों से मिलेगा आयोडीन

दुर्ग। (Chhattisgarh) आयोडीन की अल्पता से विकार (आयोडीन डिफ़ीसिएन्सी डिसऑर्डर-आईडीडी) को दुनिया भर में प्रमुख पोषण संबंधी विकारो में से एक माना गया है जिसकी रोकथाम के लिए हर साल 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता दिवस मनाया जाता है।
(Chhattisgarh)इस दिन का उद्देश्य आयोडीन के पर्याप्त उपयोग के बारे में जनसमुदाय के बीच जागरूकता बढ़ाना और आयोडीन की कमी के परिणामों को उजागर करना है। आंकड़ों की बात जाए तो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 (एनएफएचएस-4) के अनुसार छत्तीसगढ़ में 99.1 प्रतिशत ऐसे परिवार हैं जो आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करते हैं जिसमें ग्रामीण इलाकों के 99 प्रतिशत परिवार और शहरी इलाकों के 99.4 प्रतिशत परिवार हैं। जबकि NFHS-3 में 79% लोग ही आयोडीन वाला नमक का इस्तेमाल करते थे। दस सालों में 20.1 प्रतिशत लोगों के पास आयोडीन का इस्तेमाल करने में वृद्वि हुई। राज्य सरकार द्वारा पीडीएस के चावल में प्रत्येक राशनकार्डधारी परिवारों को आयोडिन युक्त नमक मुफ्त में देने से छत्तीसगढ़ में आयोडिन की अल्पता में सुधार लाया गया है।
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जीवन में एक चम्मच आयोडीन जरूरी : अग्रवाल
महिला एवं बाल विकास विभाग दुर्ग जिला की भिलाई-1 परियोजना अधिकारी पूजा अग्रवाल ने बताया प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति को 150 माइक्रोग्राम आयोडीन का सेवन करना अनिवार्य होता है। पूरे जीवन में एक चमच पर्याप्त होता है। उन्होंने कहा कि थोड़ी सी मात्रा लेकिन महत्वपूर्ण तत्व का महत्व बताते हुए कहा कि आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करने से इससे होने वाली बीमारियों से बचा जा सका है।
परियोजना अधिकारी ने आगे बताया हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन, मूली, चुकंदर, दूध, सोयाबीन, अंडा और केला आदि के सेवन से भी आयोडीन की कमी पूरी की जा सकती है। इस लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले हितग्राही गर्भवती महिलाओं को पोषण वाटिका से महिलाओं को सब्जियों से पौष्टिकता के साथ आयरन, विटामिन, मिनिरल्स सहित आयोडीन भी मिलती है। उन्होंने बताया महिलाओं में घेंघा रोग आयोडीन की कमी से होने वाला आम रोग है। गर्भवती माताओं में आयोडीन की कमी के कारण बच्चे मंदबुद्वि, शारीरिक रूप से कमज़ोर, गूंगे-बहरे अथवा अपंग, महिलाओं में गर्भपात की स्थिति, मृत बच्चा पैदा होना, मानसिक विकलांगता, वयस्कों में ऊर्जा की कमी, जल्दी थकावट आदि विकार हो सकते हैं।
गर्भवती व शिशुवती माताओं को दी जाएगी आयोडीन की जानकारी
(Chhattisgarh)मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ. गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम के तहत इस वर्ष भी 21 अक्टूबर से 27 अक्टूबर तक सप्ताह भर आयोडीन अल्पता विकार दिवस मनाया जाएगा। साप्ताहिक गतिविधियों में वेब-सेमिनार, वेब-कार्यशाला, स्कूली बच्चों में कार्यक्रम से संबन्धित निबंध लेखन, स्लोगन लेखन, चित्र बनाना आदि किया जाएगा। इस का मुख्य उद्देश्य यह है कि आयोडीन की कमी से होने वाले विकारो के प्रति लोगो में जागरूकता लाना जरुरी है। क्योंकि आयोडीन युक्त नमक न खाने की वजह से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास रुक जाता है। उन्होंने बताया इस तरह की समस्याओं की रोकथाम के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम और मितानिन कार्यकर्ता प्रचार-प्रसार सामाग्री के माध्यम से लोगों को आयोडीन युक्त नमक खाने के लिए प्रेरित करेंगी जिससे आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों से बचाया जा सकें। इसके अलावा आंगनबाडी केंद्रों में कार्यकर्ता और सहयिका द्वारा रेडी-टू –ईट के वितरण के दौरान गर्भवती व शिशुवती माताओं को आयोडीन से होने वाले लाभ की जानकारी भी देंगी।
क्या है आयोडीन-
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ. ठाकुर ने बताया, आयोडीन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जो मानव विकास के लिए आवश्यक है, जिसकी शरीर को विकास एवं जीने के लिए बहुत थोड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। आयोडीन का एक फायदा यह है कि यह थायराइड ग्रंथियों की सुचारु रूप से काम करने में मदद करता हैं और यह ग्रंथिया थाइराइड के हार्मोन्स बनाते छोड़ती है, जिससे शरीर का मेटाबॉलिक स्तर नियंत्रित रहता है और यह मेटाबॉलिक स्तर शरीर के कई अंगो की कार्यशीलता को प्रभावित करता है जैसे- खाने को पचाने, भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने तथा सोने के चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार लगभग 54 देशों में अभी भी आयोडीन की कमी है। आयोडीन की कमी की वजह से आज के परिदृश्य में दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी को आयोडीन अल्पता विकार से पीड़ित होने का खतरा है। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित वर्ष 2009 के एक शोध के अनुसार भारत में हर साल लगभग 90 लाख गर्भवती महिलाओं, 80 लाख नवजात शिशु एवं 76 लाख बच्चों को आयोडीन अल्पता विकार का खतरा होता हैं।
आयोडिन की कमी से विकार –
रायपुर मनोरोग स्पर्श क्लीनिक के चिकित्सा मनोवैज्ञानिक डॉ. आकांक्षा गुप्ता दानी ने बताया आयोडीन शरीर व मस्तिष्क दोनों की सही वृद्धि, विकास व संचालन के लिए आवश्यक है। शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति नहीं रहती। सुस्ती व थकावट महसूस होती है। आयोडीन की कमी से नवजात शिशु के शरीर व दिमाग की वृद्धि व विकास में हमेशा के लिए रूकावट आ सकती है। छोटे बच्चों, नौजवानों व गर्भवती महिलाओं के लिए आयोडीन बहुत जरूरी है। आयोडीन मन को शांति प्रदान करती है, तनाव कम करती है, मस्तिष्क को सतर्क रखती है और बाल, नाखून, दांत और त्वचा को उत्तम स्थिति में रखने में मदद करता है आमतौर पर व्यक्ति को कितनी आयोडीन चाहिए ? इस्तेमाल किये जाने वाले नमक में कम से कम 15 पी.पी.एम.(15 अंश प्रति 10 लाख अंश) आयोडीन होना चाहिए।