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Chhattisgarh: केंद्र सरकार के खिलाफ राज्य सरकार ने खोला मोर्चा, कहा- केंद्र सरकार का कृषि कानून संवैधानिक तौर पर अवैध

रायपुर। (Chhattisgarh) केंद्र सरकार की नई कृषि कानून के खिलाफ छत्तीसगढ़ कि भूपेश बघेल सरकार ने मोर्चा खोल दिया है। कृषि बिल को किसान विरोधी बताते हुए सीएम भूपेश बघेल ने आरोप लगाया है कि को बिल संसद में पारित किया गया है, वो केंद्र सरकार के अधीन ही नहीं है। (Chhattisgarh)ये मामला राज्यों के अधीन है। ऐसे में केंद्र सरकार का ये कृषि कानून संवैधानिक तौर पर अवैध है।

(Chhattisgarh)रविवार को आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि हम मोदी सरकार के इस किसान विरोधी कानून के खिलाफ राष्ट्रपति से लेकर कोर्ट तक जाएंगे और किसानों के न्याय के लिए लड़ते रहेंगे।

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सीएम भूपेश ने कृषि बिल को काला कानून बताते हुए कहा कि कृषि बिल जो पारित किया गया वो राज्य और विधान मंडल से संबंधित है। इसलिए लोकसभा और राज्य सभा से को कानून पारित किया गया है वो अवैध है।

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इसी वजह से इस कानून का नाम बदल दिया है। राज्यों के संवैधानिक अधिकारों को छीनकर केंद्र सरकार ने हमारे हक पर कुठाराघात किया है।

उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि मजदूरों से संबंधित जो कानून पास किया गया है, उस मामले में भी राज्यों से कोई सलाह नहीं ली गई है।सुशांत सिंह राजपूत मामले में और कोरॉना की वजह से देश का ध्यान कहीं और था तब ऐसे समय में मोदी सरकार ने जून 2002 में ऐसे 3 अद्ध्यदेश लाए, जो किशन और मजदूर विरोधी हैं।

केंद्र के नए कृषि बिल के तहत बड़े व्यापारियों को सुविधा दी है। अब कोई भी व्यक्ति अपने पास जितना चाहे अनाज का भंडार जमा कर सकता है। बड़े व्यापारी मंडी ना जाकर सस्ते दामों पर व्यापारी और दलालों को बेचने पर मजबूर होंगे।

इस कानून के तहत तीन दिनों के बाद किसानों को उनके पैसे मिलेंगे। लेकिन कुछ गड़बड़ी हुई तो उनके पैसे अटक जाएंगे। ऐसे में छोटा हो या बड़ा किसान अपने पैसे के लिए कहां तक लड़ाई लड़ेंगे।

छत्तीसगढ़ में ८५ से लेकर ९० फीसदी किसानों को पीडीएस का लाभ मिला है। ऐसे में ये कहना कि देश के मात्र ६ फीसदी किसानों को ही इसका लाभ मिलता है, ये झूठ है।

किसानों को मिलने वाला एमएसपी बंद किए जा सकते हैं। क्योंकि केंद्र सरकार इस कृषि बिल के तहत इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र के पूंजीपतियों को लाने की बात कही गई है।

शांता कमेटी की रिपोर्ट के हवाले से भूपेश बघेल ने कहा कि इस कमेटी की रिपोर्ट किसान विरोधी है। और इसके तहत पीएम मोदी कृषि क्षेत्र में कॉरपोरेट घरानों के हाथों बेच देना चाहती है।

उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा कि मोदी सरकार स्वामीनाथन कमेटी कि रिपोर्ट कब लागू करेगी। उन्होंने को वादा किया था।

भूपेश बघेल ने  नए किसान कानून को कॉरपोरेट घरानों को फायदा देने वाला बताया है। अपरोक्ष तौर पर उन्होंने देश की बड़ी कॉरपोरेट सेक्टर जिनमें अदानी ग्रुप भी शामिल है, उनकी तरफ इशारा किया है।

उल्लेखनीय है कि अदानी ग्रुप खाद्यान्य के क्षेत्र में पिछले कुछ सालों से अपना हाथ आजमा रही है। वहीं, मुकेश अंबानी की रिलायंस कंपनी रिलायंस फ्रेश के नाम से पहले से ही इस क्षेत्र में मौजूद है। मोदी सरकार के कृषि बिल से इन दोनों ही ओद्यौगिक घरानों को सीधे तौर पर फायदा देने की कोशिश की गई है।

वहीं, उन्होंने बस्तर में पत्रकार पर कांग्रेस नेताओं द्वारा दिनदहाड़े थाने के बाहर हमला करने के सवाल पर कहा कि अभी का समय पहले को सरकार से बेहतर है। उन्होंने ये भी कहा कि पत्रकारों की हालत पहले से अधिक बेहतर है।

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