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Chhattisgarh: पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का दावा, गांव के मुकाबले प्रदूषित शहरों पर ज्यादा बरपा कोरोना का कहर

रायपुर। (Chhattisgarh) कोरोनी की दूसरी लहर काफी घातक साबित हुई. इस खतरनाक संक्रमण की जद में आकर कई मरीजों ने दम तोड़ दिया. अब पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट सामने आई है. इस रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक जिस शहर में प्रदूषण अधिक था, वहां कोरोना संक्रमण जानलेवा साबित हुआ. मतलब खराब वायु गुणवत्ता और ज्यादा पीएम-2.5 (particulate matter) उत्सर्जन करने वाले क्षेत्रों में संक्रमण और इससे संबंधित मौतों की संभावना अधिक रही है. वहीं रायपुर, दुर्ग-भिलाई, बिलासपुर, कोरबा जैसे शहरों में कोरोना के सबसे अधिक केस सामने आए हैं. क्यों कि इन शहरों में प्रदूषण अधिक है.

जानिए क्या कहते है वैज्ञानिक

पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी (Pandit Ravi Shankar Shukla University) के वैज्ञानिकों ने अध्ययन के मुताबिक कोरोना वायरस ने अपना असर प्रदूषित शहरों में ज्यादा दिखाया है. हैरान कर देने वाली बात यह है कि प्रदूषित शहरों में कोरोना संक्रमित व्यक्ति 100 गुना ज्यादा लोगों को संक्रमित किया है.

पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के एचओडी डॉक्टर शम्स परवेज (Dr Shams Parvez, HOD, Department of Chemistry, Pandit Ravi Shankar Shukla University)  ने बताया कि यह स्टडी जो वर्ल्ड के टॉप रिसर्च जनरल ‘साइंस ऑफ द टोटल एनवायरमेंट’ में पब्लिश किया गया है. रिसर्च का नाम ‘ एंबिएंट पीएम-2.5 एक्सपोर्ट एंड रैपिड स्प्रेड ऑफ कोविड-19 इन द यूनाइटेड स्टेट्स’ (Ambient PM2.5 exposure and rapid spread of COVID-19 in the United States) है. डॉक्टर शम्स परवेज ने बताया कि यह स्टडी यूनाइटेड स्टेट्स के डाटा को लेकर की गई है. उन्होंने बताया कि कोरोना स्प्रेड को लेकर देश के ग्रामीण इलाकों का डाटा उपलब्ध नहीं है. इसलिए यूनाइटेड स्टेट्स के डाटा को लेकर यह रिसर्च की गई.

प्रदूषित शहरों के कोरोना इन्फेक्टेड व्यक्ति ने फैलाया ज्यादा वायरस

डॉक्टर शम्स परवेज ने बताया कि रिसर्च में पाया गया कि ज्यादा प्रदूषण वाले क्षेत्रों में कोरोना संक्रमित व्यक्ति ज्यादा इन्फेक्टेड हैं. उन्होंने बताया कि गांवों की तुलना में प्रदूषित शहरों में कोरोना इन्फेक्टेड व्यक्ति के गले में पीएम 2.5 से जुड़े सल्फेट और कार्बन की मात्रा ज्यादा पाई गई है. इसका सीधा मतलब है कि प्रदूषित शहरों में रहने वाले कोरोना इन्फेक्टेड व्यक्ति ने ज्यादा वायरस को फैलाने का काम किया है. डॉक्टर शम्स परवेज ने बताया कि जियोलॉजिकल स्टडी में एक फैक्टर लिया है, जिसमें बेसिक री-प्रोडक्शन रेशियो (Basic Re-Production Ratio) में यह रिसर्च की गई है. जिसमें एक व्यक्ति जो कोरोना से संक्रमित है, वह कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है. इसमें पाया गया कि ज्यादा प्रदूषण वाले शहरों में पीएम 2.5 पार्टिकल हमारे गले तक पहुंच जाते हैं. ऐसे में तकलीफ ज्यादा बढ़ जाती है.

प्रदूषित शहरों में रहने वाला व्यक्ति 100 गुना ज्यादा लोगों को फैला सकता है कोरोना

डॉ. शम्स परवेज ने बताया कि एक उदाहरण के तौर पर यदि दो कोरोना संक्रमित व्यक्ति हैं. एक गांव में रहता है, जहां कुछ भी नहीं है. वहीं एक दूसरा कोरोना संक्रमित व्यक्ति रायपुर, दुर्ग-भिलाई या रायगढ़ जैसी जगहों पर रहता है. ऐसे में जो शहर में व्यक्ति रह रहा है. उसके गले में पीएम 2.5 कार्बन की मात्रा और सल्फेट की मात्रा ज्यादा पहुंच रही है. उसका गला ज्यादा इन्फ्लेमेशन होगा. उसके गले में ज्यादा वायरस कंटेंट होगा. वहीं दूसरा व्यक्ति जो गांव में है. वह ज्यादा वायरस कंटेंट नहीं करेगा. प्रदूषित शहरों में रहने वाला व्यक्ति 100 गुना ज्यादा कोरोना फैला सकता है.

औद्योगिक गतिविधियों वाले शहर में रखा अधिक खतरा

डॉ. शम्स परवेज ने बताया कि उद्योगों से लेकर आम लोगों को आगे आकर सहयोग करना चाहिए. यदि अभी हालात नहीं सुधरे तो इसका नुकसान सभी को उठाना पड़ेगा. डॉ. शम्स ने बताया कि इस बात का सबूत है कि केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि देश के तमाम और रेटेड शहरों में कोरोना वायरस ने कहर बरपाया है. चाहे वह महाराष्ट्र के इंडस्ट्रियल शहर कोल्हापुर, पुणे और मुंबई जैसे शहरों की बात हों या फिर गुजरात के अहमदाबाद और सूरत जैसे शहर हों. ऐसे तमाम शहरों में जहां बड़ी फैक्ट्रियां हैं. वहां कोविड ने तेजी से स्प्रेड किया है.

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