छत्तीसगढ़

Chhattisgarh: पीएससी एवं भर्ती संबंधी मामला, लोक सेवा आयोग में गंभीर अनियमितताओं एवं भर्ती प्रक्रिया में धांधली के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री का वेबीनार

रायपुर। (Chhattisgarh) किसी भी अच्छे लोकतंत्र का तकाजा श्रेष्ठ भर्ती संस्था भी होती है। भारत में दूर दराज के गांवों में बैठे गरीब बच्चे भी बड़े पदों में पहुंचने के सपने के साथ पीएससी जैसी परीक्षाओं की तैयारी करते है। किसी के मां-बाप जमीन बेचकर, तो कभी गहने बेचकर भी अपने बेटे-बेटियों को पढ़ाते है। पीएससी जैसी संस्थायें, एक संस्थान मात्र नहीं है, (Chhattisgarh) बल्कि युवाओं के आशा और विश्वास के प्रतीक भी है। जब भर्ती में अनियमितता, भ्रष्टाचार, विलंब जैसी स्थितियां निर्मित होती है, तो पूरे राज्य के युवाओं के बीच हताशा और निराशा का वातावरण निर्मित हो जाता है, जो किसी भी राज्य के लिए अत्यंत दुर्भाग्यजनक स्थिति है।

मैंने अपने 15 साल के मुख्यमंत्री काल में पूरी ईमानदारी से प्रयास किया कि छत्तीसगढ़ के मेरे युवा साथियों के लिए अधिकाधिक भर्ती सुनिश्चित कर सकूं। शुरू शुरू में हमारे समय में गड़बड़ियां सामने आई। मैं तत्काल सुधार हेतु ईमानदार प्रयास किये। हमने समय से पहले पीएससी के चेयरमैन को केबिनेट में विशेष निर्णय लेकर हटाने तक का काम किया। बाद में हमने पीएससी चेयरमैन के पद के लिए अच्छे से अच्छे व्यक्ति को खोजने का प्रयास किया। और मुझे इस बात का गर्व है कि जिन्हें मैंने पीएससी का चेयनमैन बनाया था, उनकी कर्मठता और ईमानदारी ऐसी थी कि बाद में उन्हें प्।ै की परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था यूपीएससी का पहले सदस्य बनाया गया और बाद में उन्हें यूपीएससी काचेयरमैन भी नियुक्त किया गया।

22012-13 के बाद से प्रत्येक संविधान दिवस अर्थात 26 नवम्बर को नियमित रूप से पीएससी का विज्ञापन निकालने की परिपाटी को मैंने प्रारंभ कराया। प्रत्येक वर्ष 26 नवम्बर से पहले प्रीलिम्स, मेन्स, इंटरव्यू पूरा कराकर अगली भर्ती के लिये रास्ता साफ कर दिया जाता था। इंटरव्यू खतम होने के आखिरी दिन ही रिजल्ट घोषित करने की परिपाटी को भी मैंने प्रारंभ कराया।

हाल में सामने आई अनियमिततायें

1.छत्तीसगढ़ के पीएससी ने सारी हदों को पार करते हुए अभी अभी नियम 56.13 में परिवर्तन कर दिया। अभ्यर्थियोंको अब संशोधित माॅडल आंसर ही नहीं दिया जायेगा। इसी तरह नये नियम के तहत 20 प्रतिशत प्रश्नों के गलत होने की स्थिति में ही परीक्षा निरस्त की जायेगी, अन्यथा नहीं। पूरे भारत में 20 प्रतिशत का नियम बनाने वाली एक मात्र संस्था हमारे छत्तीसगढ़ की पीएससी ही होगी।

2.विभिन्न स्त्रोतों के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती परीक्षा में अलग-अलग विषयों से कुल 105 प्रश्नों को विलोपित करने की बात आई।अनेक अभ्यर्थियों का यह भी आरोप है कि दर्जन भर प्रामाणित स्त्रोतों के रिफरेंस को भी नजरअंदाज किया गया,नहीं तो विलोपित प्रश्नों की संख्या 200 से भी अधिक हो सकती थी। इस तरह की कार्यप्रणाली न्यायालय में याचिकाओं की स्थिति निर्मित कर सकती है और भर्ती प्रक्रिया में अनावश्यक विलम्ब हो सकता है।

3.इसी तरह सहायक संचालक-कृषि की परीक्षा में 150 से 14 प्रश्नों को विलोपित किये जाने कीजरूरत पड़ी थी।

4.पीएससी द्वारा गठित विशेषज्ञ समितियों द्वारा अड़ियल रवैया अपनाने के मामलेभी सामने आये है। दावा-आपत्ति के बाद भी माॅडल उत्तर में सुधार नहीं करने की स्थिति निर्मित हो रही है। 26 दिसंबर 2020 को स्वयं

3छत्तीसगढ़ पीएससी द्वारा ही एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी, जिससे स्पष्ट होता है कि 9 फरवरी 2020 को प्री-2019 की परीक्षा आयोजित हुई। दावा-आपत्ति के बाद संशोधित माॅडल आंसर 29 मई 2020 को जारी किया गया। दावा-आपत्ति में अनेक युवा भाई-बहनों के तर्को को नजरअंदाज किया गया, तभी वे माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जाने को बाध्य हुये। उदयन एवं अन्य बनाम छत्तीसगढ़ शासन का केस चला। युवाओं का तर्क सही था, तभी माननीय उच्च न्यायालय में उनकी जीत हुई और फिर से 5 सदस्यीय समिति पीएससी को गठित करनी पड़ी। विशेषज्ञ समिति ने भी कई प्रश्नों में युवाओं के तर्कको सही पाया। विलोपित करनया मॉडल आंसर जारी करना पड़ा।

5.किसी भी परीक्षा के किसी प्रश्न-पत्र में न्यूनतम मानवीय भूल तो हो सकती है। लेकिन असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा में पूछा गया था कि तातापानी कहां है?माॅडल उत्तर में सूरजपुर लिया गया था। जबकि छत्तीसगढ़ के बच्चे-बच्चे को पता है कि तातापानी तो बलरामपुर जिले में है। इस स्तर की बड़ी गलतियां कदापिस्वीकार्य नहीं हो सकती। ऐसे बड़ी गलती करने वाले तथाकथित विशेषज्ञ का नाम सार्वजनिक किया जाना चाहिये और ऐसे तथाकथित विशेषज्ञ को आजीवन ब्लैक लिस्टेड किया जाना चाहिये था।

6.यूपीएससी हर साल विभिन्न परीक्षाओं का कैलेंडर पहले ही जारी कर देती है। इसी तर्जपर उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश जैसे अन्य राज्यों के लोक सेवा आयोगों ने भी अपने-अपने कैलेंडर जारी कर दिये है। लेकिन हमारे छत्तीसगढ़ के पीएससी ने कोई कैलेंडर ही जारी नहीं किया है। कैलेंडर फिक्स नहीं रहने से केन्द्र और राज्यों की अनेक परीक्षाओं के साथ डेट क्लैस भी होता है। कैलेंडर फिक्स रहने की स्थिति में अभ्यर्थी अपने परीक्षाओं का चयन पहले से ही कर सकते है।

47.वन विभाग से संबंधित ।ब्थ् और रेंजर के 178 पदों के विज्ञापन में परीक्षाओं का अता-पता ही नहीं है। कैलेंडर नहीं होने के कारण ही यह सब स्थितियां निर्मितहो रही है।8.अनेक मामलों में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा त्ज्प् के अंतर्गत सूचना प्रदान न करने की स्थिति भी निर्मित होती रही है। अनेक सूचनाओं के लिए राज्य सूचना आयोग तक अभ्यर्थियों को जाना पड़ता है। इससे अनेक संदेह की परिस्थितियां निर्मित होती है।9.भूपेश बघेल की सरकार खुद की तारीफ करते फिर रही है कि उन्होंने 24 साल बाद शिक्षकों की नियमित भर्ती करा दी। शिक्षाकर्मियों का संविलियन मैंने कराया, उसी कारण से शिक्षाकर्मी का कैडर डेड हुआ और स्वभाविक था कि अगली भर्ती तकनीकी रूप से नियमित ही होनी थी।नियमित शिक्षक की व्यवस्था को बिगाड़ने का काम 1997 में दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार ने किया था। शिक्षाकर्मी व्यवस्था की शुरूआत करके वर्ग-3 को 800 रूपये, वर्ग-2 को 1000 रूपये और वर्ग-1 को 1200 रूपये वेतन देता था। उस व्यवस्था को मैंने अपने कार्यकाल में बेहतरबनाते-बनाते 40,000 से 50,000 तक वेतनकी व्यवस्था किया। संविलियन करके सभी शिक्षकों को नियमित बनाया और आगे के लिए भी नियमित भर्ती का रास्ता सुनिश्चित किया। आज इन लोग शून्य काम करके छत्तीसगढ़ के युवाओं को ढग रहे है।10.14,580 शिक्षकों की भर्ती के लिए2019 में इन्होंने विज्ञापन निकाला। जुलाई तक परीक्षा के परिणाम भी आ गये थे। लेकिन अलग-अलग बहानाबाजी करके आज दिनांक तक साढे़ बारह हजार शिक्षक साथियों को नियुक्ति पत्र नहीं दिये है। आज शिक्षक के रूप में चयनित युवाओं को भी रोजगार गारंटी योजना में मजदूरी करनी पड़ रही है।

5अनियमितताओं और गड़बड़ियों की सूची बहुत लम्बी है। आजछत्तीसगढ़ के मेरे युवा साथी हताश और निराश है। आप लोगों की सभी मांगे बिल्कुल जायज है। देखिये, हम लोगों के पास राजनीति करने के लिए सैकड़ो मुद्दे है। आप लोगों के विषय में हम लोग केवल यह चाहते है कि आप लोगों का काम हो जाये। जहां आप लोगों को लगे कि भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से आप लोगों को मदद मिलेगी, वहां हम लोग हर स्तर का सहयोग प्रदान करेंगे। विधानसभा में प्रश्न पूछना हो, ध्यानाकर्षण लगाना हो, सड़क की लड़ाई लड़नी हो, हर मोर्चे पर भारतीय जनता पार्टी साथ रहेगी।प्रेषक,डाॅ.रमनसिंहपूर्व मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़

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