छत्तीसगढ़ जल संकट की कगार पर: 20 साल में पहली बार मोंगरा बैराज सूखने के करीब, 5 प्रमुख बांधों में पानी शून्य

राजनांदगाव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले का सबसे बड़ा जलस्रोत मोंगरा बैराज बीते 20 वर्षों में पहली बार सूखने की कगार पर पहुंच गया है। शिवनाथ नदी पर बना यह बैराज अब डेड स्टोरेज में पहुंच चुका है। 40 मिलियन क्यूबिक मीटर की क्षमता वाला यह बांध, छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के साथ ही बना था, लेकिन अब इसकी तलहटी में खड़े पेड़ों के ठूंठ दिखाई देने लगे हैं, जो पानी की भयावह कमी की ओर इशारा कर रहे हैं।
पांच बांधों में पानी की मात्रा शून्य
छत्तीसगढ़ में जल संकट गहराता जा रहा है। मुरुमसिल्ली, मोंगरा बैराज, पेंड्रावन, मयाना और घुमरिया जैसे पांच प्रमुख बांधों में पानी की मात्रा शून्य प्रतिशत हो गई है। इसके अतिरिक्त 8 अन्य बांधों में पानी 10 फीसदी से भी कम रह गया है। वर्ष 2023 की तुलना में इस बार 46 बांधों में औसत जलस्तर 55.8% से घटकर मात्र 25.7% रह गया है।
मिनीमाता बांगो बांध भी संकट में
कोरबा स्थित मिनीमाता बांगो, जो प्रदेश के सबसे बड़े बांधों में से एक है, उसमें भी इस बार केवल 26.5% पानी बचा है, जबकि पिछले साल यहां 61.2% जलस्तर था। इस गिरावट से पीने के पानी और सिंचाई—दोनों पर गंभीर असर पड़ने वाला है।
शहरों और उद्योगों पर पड़ेगा सीधा असर
मोंगरा बैराज से दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, बेमेतरा और सिमगा जैसे शहरों और सैकड़ों गांवों को जल आपूर्ति होती है। गर्मियों में जब शिवनाथ नदी का प्रवाह सूखता है, तब इसी बैराज से पानी छोड़ा जाता है। लेकिन अब पानी न होने के कारण इन क्षेत्रों में भीषण जल संकट तय है। इसी तरह, मुरुमसिल्ली बांध, जो गंगरेल डैम का बैकअप है, उसका भी जलस्तर शून्य हो चुका है। यदि इस बार गंगरेल बांध का पानी भी कम हुआ, तो बीएसपी सहित बड़े उद्योगों और शहरी जलापूर्ति पर संकट गहरा सकता है।