छत्तीसगढ़ दिवस विशेष: नामकरण से लेकर 5 लाख करोड़ जीडीपी तक का सफर

रायपुर। छत्तीसगढ़ केवल प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर प्रदेश नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और विकास का अद्भुत संगम है। माना जाता है कि इस क्षेत्र में स्थित 36 किलों या ‘गढ़ों’ के कारण इसका नाम छत्तीसगढ़ पड़ा।
एक अन्य मत के अनुसार यह नाम चेदिशगढ़ का अपभ्रंश है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह भूमि प्राचीन दक्षिण कोसल राज्य से जुड़ी रही है, जिसने मौर्य, गुप्त, कलचुरी और मराठा शासन देखे हैं। 1857 की क्रांति में वीर नरहरदेव जैसे योद्धाओं ने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष कर इस धरती की वीरता को अमर किया।
1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ एक नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। रायपुर को राजधानी और बाद में नवा रायपुर (अटल नगर) को आधुनिक प्रशासनिक केंद्र बनाकर राज्य ने विकास की नई दिशा तय की। गठन के समय राज्य की जीडीपी लगभग 25 हजार करोड़ रुपए थी, जो आज 5.67 लाख करोड़ रुपए को पार कर चुकी है।
खनिज संपदा ने छत्तीसगढ़ को देश की औद्योगिक रीढ़ बना दिया है। भिलाई इस्पात संयंत्र, कोरबा की बिजली परियोजनाएं और रायगढ़-बिलासपुर के औद्योगिक केंद्र राज्य की प्रगति के प्रतीक हैं। “धान का कटोरा” कहलाने वाला यह प्रदेश कृषि में भी अग्रणी है।
पर्यटन के क्षेत्र में बस्तर का दशहरा, रतनपुर की महामाया, डोंगरगढ़ की बम्लेश्वरी और भोरमदेव जैसे मंदिर इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हैं। परंपरा और आधुनिकता के इस संगम ने छत्तीसगढ़ को देश के सबसे संभावनाशील और गर्वशील राज्यों में स्थान दिलाया है।





