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छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र: 35 घंटे 33 मिनट की कार्यवाही, अनुपूरक बजट और हंगामेदार दिन

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र 14 दिसंबर से 17 दिसंबर तक चला, जिसमें कुल 5 बैठकें हुईं और 35 घंटे 33 मिनट तक कार्यवाही हुई। पहले दिन पुराने विधानसभा भवन में कार्यवाही हुई, जबकि शेष तीन दिनों से नई विधानसभा में यह प्रक्रिया जारी रही। यह एक ही सत्र में दो अलग-अलग भवनों में होने वाला पहला मौका था, जिसे अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने ऐतिहासिक बताया।

सत्र में ‘विजन 2047’ पर व्यापक चर्चा हुई और राज्य के भविष्य के रोडमैप पर मंथन किया गया। साथ ही वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर सदन में चर्चा हुई। 5 बैठकों में तारांकित 333 और अतारांकित 295 प्रश्न पूछे गए। 232 ध्यानाकर्षण सूचनाओं में से 70 स्वीकार की गईं और 20 शून्यकाल में परिवर्तित की गईं। 196 याचिकाओं में 36 को स्वीकार किया गया।

सत्र के अंतिम दिन नेशनल हेराल्ड मामले पर हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायकों ने ‘सत्यमेव जयते’ तख्तियां लेकर नारेबाजी शुरू की। स्पीकर ने तख्तियों के साथ सदन में बैठने की अनुमति नहीं दी, जिससे कार्यवाही दो बार 10-10 मिनट के लिए स्थगित हुई। नेता प्रतिपक्ष भूपेश बघेल ने जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया, जबकि मंत्री अजय चंद्राकर ने इसे निराधार बताया। डिप्टी सीएम अरुण साव ने विपक्ष के अनुचित व्यवहार की निंदा की।

सत्र के तीसरे दिन वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने 35,000 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट पेश किया। इसके खिलाफ विपक्ष ने तीखी बहस की। कांग्रेस विधायक राघवेंद्र सिंह ने कहा कि वित्तीय वर्ष के अंतिम तीन महीनों में इतने बड़े बजट में कोई ठोस विजन नहीं दिखता और महिलाओं, किसानों तथा युवाओं के लिए लक्षित काम अभी तक पूरा नहीं हुआ।

इस सत्र में अनुपूरक बजट, विजन 2047, वंदे मातरम्, नेशनल हेराल्ड और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहस और हंगामे के बावजूद कई महत्वपूर्ण विधायी कार्य पूरे किए गए।

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