छत्तीसगढ़

चक्रधर समारोह: ग्रैमी अवार्ड विजेता बांसुरी वादक राकेश चौरसिया ने अपनी विशेष प्रस्तुति दी

नितिन@रायगढ़। जिले में आयोजित चक्रधर समारोह में ग्रैमी अवार्ड विजेता बांसुरी वादक राकेश चौरसिया ने अपनी विशेष प्रस्तुति दी । राकेश चौरसिया, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के भतीजे है जो  एक प्रतिष्ठित शास्त्रीय संगीतकार हैं, शास्त्रीय संगीत की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए संगीत की दुनिया में विशेष पहचान बनाई है। पंडित हरिप्रसाद चौरसिया भी बांसुरी वादन में एक प्रमुख नाम हैं और भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियां रही हैं। आज शहरवासियों को संगीत की दुनिया का सबसे बड़ा ग्रैमी अवार्ड विजेता और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त राकेश चौरसिया के बांसुरी वादन का बेहतरीन नमूना देखने को मिला।

अपने कार्यक्रम की प्रस्तुति के पूर्व मीडिया से चर्चा करते हुए राकेश चौरसिया ने शास्त्रीय संगीत के महत्व और उसकी वर्तमान स्थिति पर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने कहा कि आज भी शास्त्रीय संगीत सुनने और समझने वाले लोग मौजूद हैं। चौरसिया ने शास्त्रीय संगीत को हर बच्चे तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया और सुझाव दिया कि इसे स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।

उन्होंने शास्त्रीय संगीत की गहराई और शक्ति पर भी बात की इसे एक खास लहजा और सात सुरों का अनूठा संगम बताते हुए इसे अन्य संगीत विधाओं से अलग बताया। चौरसिया ने मौजूदा तकनीकी दौर में, विशेषकर एआई ऑटो ट्यूनर के संदर्भ में,शास्त्रीय संगीत की अद्वितीयता और उसकी जगह को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उनके अनुसार शास्त्रीय संगीत आज भी एक प्रमुख कला  है और इसकी चाहत और प्रभाव समय के साथ कम नहीं हुआ है। विदेशों में भी शास्त्रीय संगीत काफी लोकप्रिय है। प्रसिद्ध बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया के भतीजे राकेश चौरसिया ने अमेरिकी बैंजो वादक बेला फ्लेक और अमेरिकी बेस वादक एडगर मेयर के समूह के साथ ‘पश्तो’ और ‘एज वी स्पीक’ के लिए दो ग्रैमी पुरस्कार जीत कर संगीत की दुनिया का बड़ा पुरुष्कर प्राप्त कर देश का मान बढ़ाया उन्होंने मीडिया से चर्चा के दौरान यह भी साफ तौर पर कहा की वे जहां भी प्रस्तुति देते हैं अपने देश के लिए करते है। शास्त्रीय संगीत में फ्यूजन को लेकर भी बेबाक तरीके से अपनी बात रखी।

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