जातीय जनगणना से पहले केंद्र बनाएगा जातियों की सूची, सभी दलों से ली जाएगी सहमति

दिल्ली। देश में आजादी के बाद पहली बार जातीय जनगणना की तैयारी हो रही है। इसके तहत केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि जनगणना से पहले जातियों की एक मान्य सूची तैयार की जाएगी। इस सूची को अंतिम रूप देने से पहले सरकार सभी राजनीतिक दलों से बातचीत कर उनकी सहमति लेगी। इसके लिए एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें सुझाव और आपत्तियों के आधार पर सूची तय की जाएगी।
हाल ही में गृह मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की बैठक में यह फैसला लिया गया कि जातीय जनगणना का समन्वयक सामाजिक न्याय मंत्रालय होगा। इस कवायद का मकसद साफ और सटीक आंकड़े इकट्ठा करना है। अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की गणना तो जनगणना में पहले से होती रही है, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की जातियों को लेकर कोई स्पष्ट सूची या प्रक्रिया नहीं है, जिस कारण भ्रम की स्थिति बनी रहती है।
2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना में जाति और उपजातियों का आंकड़ा 46.73 लाख तक पहुंच गया था, जो अविश्वसनीय माना गया। 1931 में आखिरी बार जातीय जनगणना हुई थी, जिसमें 4,147 जातियां दर्ज की गई थीं। मंडल कमीशन ने 1980 में अनुमान लगाया था कि देश की 52% आबादी OBC वर्ग की है। अब जनगणना एक्ट 1948 में संशोधन कर OBC जातियों को भी गणना में शामिल करने की तैयारी है। इससे लगभग 2,650 OBC जातियों का सटीक डाटा सामने आ सकेगा। उम्मीद है कि जनगणना प्रक्रिया 2026 तक पूरी हो जाएगी और इसके आंकड़े 2027 की शुरुआत में जारी किए जाएंगे।