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CDS अनिल चौहान बोले- युद्ध लगातार बदल रहा, भविष्य के युद्ध के लिए तैयारी अनिवार्य

दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि युद्ध के तरीके हर दिन बदल रहे हैं और जो कॉन्सेप्ट आज भविष्य के लगते हैं, वे लागू होने से पहले ही पुराने हो सकते हैं।

उन्होंने गुरुवार को नई दिल्ली के सैम मॉनेकशॉ सेंटर में चल रहे चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025 में फ्यूचर वॉरफेयर और मिलिट्री पावर के जरिए स्ट्रेटेजिक पोस्चरिंग पर अपने विचार साझा किए। उनका कहना था कि भविष्य की युद्ध रणनीतियों के मुताबिक तैयारी करना सेना का अनिवार्य कर्तव्य है और इसके लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

चाणक्य डिफेंस डायलॉग का पहला दिन तीन थीमैटिक सेशन में विभाजित था। ऑपरेशन सिंदूर को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए बताया गया कि आधुनिक हथियार दुश्मन के नेचुरल, नेटवर्क, इकोनॉमिक और इन्फॉर्मेशन स्पेस को टारगेट कर सकते हैं। साइबरस्पेस, स्पेस और कॉग्निटिव युद्ध के नए डोमेन पुराने बॉर्डर और सॉवरेनिटी के कॉन्सेप्ट को चुनौती दे रहे हैं।

जनरल चौहान ने कहा कि तकनीक की प्रगति AI, हाइपरसोनिक्स, रोबोटिक्स, ऑटोनॉमस सिस्टम और सेंसर-ड्रिवन बैटलफील्ड ट्रांसपेरेंसी से सैन्य मामलों में क्रांति आ रही है। उन्होंने ईस्टर्न यूरोप और वेस्ट एशिया के हालिया संघर्षों का हवाला देते हुए बताया कि कन्वेंशनल डिटरेंस कम इस्तेमाल हो रही है और कुछ देशों द्वारा न्यूक्लियर हथियारों को अपनाने का संकेत ग्लोबल न्यूक्लियर डोमेन में अस्थिरता बढ़ा रहा है।

जनरल चौहान ने दो खास ट्रेंड्स बैटल स्पेस का बढ़ना और नॉन-लीनियरिटी की ओर ध्यान दिलाया, जिसने पारंपरिक फ्रंट, इंटरमीडिएट और डेप्थ की सोच को बदल दिया है। डायलॉग के पहले दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी और CLAWS के लेफ्टिनेंट जनरल दुष्यंत सिंह मौजूद थे। दूसरे दिन डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह की लीडरशिप में हाई-लेवल स्पेशल सेशन आयोजित होगा, जिसमें भारत के डिफेंस सुधारों और भविष्य के सिक्योरिटी आर्किटेक्चर पर चर्चा की जाएगी।

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