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छठ पूजा का तीसरा दिन आज, जानें डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का क्या है सही नियम

छठ पूजा का कल दूसरा दिन खरना था. सूर्यदेव को समर्पित चार दिवसीय त्योहार आज तीसरा दिन है और सूर्य भगवान को अर्घ्य देने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. आज के दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा काफी पुरानी है. कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन व्रती महिलाएं उपवास करती हैं और शाम के समय किसी तालाब में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. छठ का तीसरा दिन बहुत ही खास माना जाता है.

आज कब दिया जाएगा अर्घ्य?

आज शाम सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा. छठ पर्व का यह पहला अर्घ्य होगा और अर्घ्य को देने का सही समय शाम 5 बजकर 26 मिनट है.मान्यता है कि इस दिन व्रती महिला के अलावा परिवार के सदस्यों को भी अर्घ्य देना चाहिए. अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव की अराधना करने का परंपरा है. सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने के बाद 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. 20 नवंबर को सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा. व्रती के पारण करने के बाद 36 घंटे के व्रत का समापन होगा.

कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को महिलाएं उपवास करती हैं और संध्याकाल में अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ्य देती हैं. यह अर्घ्य पानी में दूध डालकर दिया जाता है. सूर्य अर्घ्य के समय व्रती महिलाओं के साथ परिवार के सदस्य भी मौजूद होते हैं. इस शाम में अर्घ्य देने के लिए बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, चावल के लड्डू, नारियल, गन्ना मूली, कंदमूल आदि से सूप को सजाकर तैयार कर पूजा की जाती है. छठ का व्रत करने वाली महिलाएं खरना वाले दिन बने प्रसाद ग्रहण करने के बाद कुछ नहीं खाती हैं, जिसके बाद ही 36 घंटों का निर्जला व्रत शुरू होता है.

छठ पर्व के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चौथे दिन यानी कल उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है और इसके बाद ही व्रती महिलाएं कुछ खा पी सकती हैं. मान्यता है कि इन 36 घंटों को दौरान व्रती महिलाओं को पानी, जूस, दूध या किसी भी अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए.

सूर्य देव को अर्घ्य देने के नियम

इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य देने के लिए किसी साफ लोटे में जल लेकर उसमें कच्चा दूध मिलाएं.
इसी लोटे में लालचन्दन, लालफूल, चावल और कुश डालकर पूरे मन से सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं.
पानी के इस कलश को छाती के बीच थोड़ा ऊपर उठाएं और सूर्य मंत्र का जाप करें.
अब धीरे-धीरे जल की धारा प्रवाहित कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और पुष्पांजलि अर्पित करें.
जल प्रवाहित करते समय अपनी नजर कलश की धारा वाले किनारे पर ही रखें.
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क्यो दिया जाता है डूबते सूर्य को अर्घ्य?

हिंदू परंपरा में छठ एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें शाम के समय यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सांयकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस समय सूर्य की पूजा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. ज्योतिषियों के अनुसार, ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है. इसके अलावा सेहत से जुड़ कई समस्याएं भी दूर होती हैं.

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