StateNewsदेश - विदेश

पटाखे फोड़ना और लाउडस्पीकर बजाना किसी धर्म में नहीं लिखा: जस्टिस अभय एस ओक

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय एस. ओक ने कहा है कि कोई भी धर्म पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने, जीव-जंतुओं को हानि देने या वायु प्रदूषण फैलाने की अनुमति नहीं देता।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि पटाखे फोड़ना और लाउडस्पीकर बजाना किसी भी धर्म में अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। दुर्भाग्य की बात है कि किसी भी नेता या धर्मगुरु ने त्योहारों पर जनता से प्रदूषण न फैलाने की अपील नहीं की। यह राजनीतिक और धार्मिक वर्ग की असंवेदनशीलता को दर्शाता है।

वे सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की लेक्चर सीरीज में ‘क्लीन एयर, क्लाइमेट जस्टिस एंड सस्टेनेबल फ्यूचर’ विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत मिली धार्मिक स्वतंत्रता भी पटाखे, मूर्ति विसर्जन या लाउडस्पीकर जैसी प्रदूषणकारी गतिविधियों की अनुमति नहीं देती। धर्म के नाम पर प्रदूषण को सही ठहराने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जबकि हर धर्म प्रकृति और जीवों की रक्षा का संदेश देता है।

पूर्व जस्टिस ओक ने कहा कि प्रदूषण फैलाना अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के समान है। स्वच्छ वातावरण के बिना मानवीय गरिमा के साथ जीवन संभव नहीं। उन्होंने कहा कि जजों और अदालतों का दायित्व है कि वे किसी भी लोकप्रिय या धार्मिक भावना से प्रभावित हुए बिना पर्यावरण की रक्षा करें।

उन्होंने समाज में मूर्ति विसर्जन को लेकर जागरूकता की कमी पर भी चिंता जताई और कहा कि पर्यावरण की रक्षा में न्यायालय ही अंतिम उम्मीद है। जस्टिस ओक ने कहा कि असली खुशी परिवार और दोस्तों के साथ त्योहार मनाने में है, न कि पटाखे जलाने या तेज शोर करने में।

Related Articles

Back to top button