छत्तीसगढ़

Raipur: कप्तान बदलना महज़ खानापूर्ति साबित ना हो जाए, दूसरे अधिकारियों पर भी कसना होगा नकेल…राजधानी की क़ानून व्यवस्था से प्रदेश भर में जाता है संदेश

रायपुर। (Raipur) कल देर रात एसएसपी अजय़ यादव का तबादला कई सवाल खड़ा करता है। रविवार की दोपहर पुरानी बस्ती थाने में पादरी से हुई मारपीट के बाद राजधानी की कानून व्यवस्था पर सवाल उठना लाजमी था। इस मामले के बाद से  मुख्यमंत्री नाराज चल रहे थे। रात में एसएसपी के साथ सीएम की बैठके भी हुई। बैठक के बाद तबादला का निर्देश जारी हुआ। जारी आदेश के मुताबिक एसएसपी को रायपुर पुलिस मुख्यालय भेज दिया गया,

(Raipur) लेकिन इस नाराजगी को एसएसपी पहले ही भांप चुके थे। इसलिए तत्काल थाना प्रभारी को लाइन अटैच किया गया। सीएसपी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

लेकिन पादरी के साथ हुई मारपीट के बाद कई सवाल खड़े करने वाले हैं। पुलिस थाने के अंदर पुलिसिंग व्यवस्था के बावजूद लोगों धड़धड़ा के घुस गए। पुलिस के सामने जूतों से पादरी को पीटने लगे।

(Raipur) ऐसे में कई सवाल खड़े होना लाज़िमी है , मसलन क्या पुलिसकर्मी भीड़ को रोकने में नाकामयाब हो गई। क्या एसपी और बाकी बड़े अधिकारियों को सूचना लगने के बाद तत्काल किसी प्रकार की कार्रवाई को अंजाम क्यों नहीं दिया गया?

एसएसपी के अलावा ऐसे कई और अधिकारी है जिन पर सुरक्षा की व्यवस्था की जिम्मेदारी है। अब ये सोचनीय है कि जब एसएसपी पर तलवार लटक सकती है तो क्या बाकी अधिकारी बच जाएंगे या उनको भी लपेटे में लिया जाएगा। जिस कदर राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था बिगड़ रही है। हर रोज कोई ना कोई आपराधिक घटनाएं सामने आ रही है। लाख कोशिशों के बावजूद कानून के हाथ खाली है। सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन। क्या जगह-जगह पर पुलिस टीम की तैनाती महज़ दिखावा है ?…उनकी मौजदूगी के बाद भी आपराधिक घटनाएं बढ़ रही है। क्या इस पर भी राज्य सरकार विचार करेंगी ?  वे अधिकारी जो आराम से एसी वाले कैबिन में बैठकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं. क्या उन पर भी कुछ इसी तरह की तलवार लटकेगी…ये देखने वाली बात हैं। लोगों के मन में खुद की सुरक्षा का भरोसा अब राज्य सरकार के हाथों में हैं। आज पादरी के साथ थाने में भीड़ ने हमला किया…आगे और ऐसी घटनाएं घटित ना हो उससे पहले ही राज्य सरकार को कड़ाई करनी पड़ेगी।

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