दिल्ली। असम सरकार ने विधानसभा में 90 साल पुरानी परंपरा को समाप्त करते हुए मुस्लिम विधायकों को अब जुमे की नमाज के लिए ब्रेक नहीं देने का फैसला किया है। अब शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही बिना किसी ब्रेक के जारी रहेगी। इस फैसले के बाद विपक्षी दलों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है।
AIUDF विधायक रफीकुल इस्लाम ने इस निर्णय को ‘संख्या बल के आधार पर’ थोपे जाने की बात कही और सरकार के इस कदम के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि विधानसभा में करीब 30 मुस्लिम विधायक हैं, और इस मुद्दे पर हम पहले ही सरकार को अपने विचार दे चुके थे, लेकिन बीजेपी के पास बहुमत है और वे इसे लागू कर रहे हैं।
असम विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी ने संविधान का हवाला देते हुए यह प्रस्ताव रखा था कि शुक्रवार को भी विधानसभा की कार्यवाही बिना किसी ब्रेक के जारी रहे। यह प्रस्ताव कमेटी ने सर्वसम्मति से मंजूर किया।
गौरतलब है कि अब तक असम विधानसभा में मुस्लिम विधायकों को जुमे की नमाज के लिए दो घंटे का ब्रेक मिलता था, लेकिन अब यह परंपरा समाप्त कर दी गई है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह परंपरा 1937 में सैयद सादुल्ला द्वारा शुरू की गई थी और अब इसे समाप्त कर दिया गया है ताकि विधानसभा की कार्यवाही में अधिक उत्पादकता लाई जा सके।