कांकेर (उत्तर बस्तर)

Kanker: 10 साल बीते…लेकिन पेंशन के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हुए जयलाल, आखिर कब होगी इनकी परेशानियों की सुनवाई?

देवाशीष विस्वास@पंखाजूर। (Kanker) नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद बुढ़ापे में पेंशन ही एकमात्र सहारा होता है और पेंशन भी न मिले तो बुढ़ापे में घर परिवार चला पाना आज के महंगाई में कितना कठिन होगा आप समझ सकते है। सेवानिवृत्त होने के 10 साल बाद भी PWD  के कर्मचारी जयलाल को  पेंशन नहीं मिला।

(Kanker) पखांजूर पीडब्लूडी विभाग में गनमैन की नौकरी से 2011 में सेवानिवृत्त होने के बाद पखांजुर थाना पारा के रहने वाले जयलाल निर्मलकर पेंशन के लिए दरदर भटक रहे हैं। पंखाजूर, भानुप्रतापपुर से लेकर जगदलपुर तक चक्कर काट रहे हैं। (Kanker) पेंशन के लिए पिछले दस वर्षों से कार्यलयों के चक्कर काट रहे जयलाल की समस्या का निराकरण करने को लेकर कोई अधिकारी गंभीर नजर नही आ रहा है। जयलाल निर्मलकर की दो पुत्री और एक पुत्र है। दोनों पुत्रियो और पुत्र का विवाह हो चुका है।

जयलाल और मुकेश ने लोकनिर्माण विभाग के दो अधिकारियों पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। पखांजुर के नाग बाबु और भानुप्रतापपुर कार्यालय में पदस्थ पटेल मैडम का जिक्र करते हुए जयलाल और मुकेश ने कहा कि पेंशन की गुहार लगाते हुए आज दस वर्ष हो गए। पर पेंशन नही मिली। ये दोनों अफसरों ने पेंशन दिलाने के एवज में दस दस हजार रूपये रिश्वत मांगी। घर की स्थिति खराब थी, बावजूद पेंशन मिल जाने पर स्थिति सुधारने की आस में रिश्तेदारों से उधारी मांग कर जयलाल और मुकेश ने नाग बाबू और पटेल मैडम को दस दस हजार रुपये रिश्वत दिया। बावजूद आजतक पेंशन नही मिला।बल्कि रिश्तेदार अब अपना पैसा मांगने के लिए घर का तकाजा कर रहे है।

घर सम्भालने पुत्र ने छोड़ी पढ़ाई

जयलाल निर्मलकर के सेवानिवृत्त होने के बाद घर की आर्थिक स्थिति डगमगा गई। जयलाल के पुत्र मुकेश निर्मलकर ने कक्षा आठवीं के बाद अपनी पढ़ाई पर पूर्णविराम लगा दिया। और घर की डूबती बागडोर को संभालना चाहा। आठवी की पढ़ाई छोड़ने के बाद मुकेश रोजी मजदूरी करते रहे, ताकि किसी तरह घर मे चूल्हा बंद न हो। मुकेश आगे की पढ़ाई कर के अच्छे मुकाम पर जाना चाहते थे, ताकि घर की स्थिति को बेहतर बना सके। मगर शासन प्रशासन के भ्रष्ट नुमाइंदों ने मुकेश के सपनो पर चन्द्रग्रहण लगा दिया और एक मजदूर बनने पर विवश कर दिया।

एसडीएम को लिखित में दिया पत्र

जयलाल और मुकेश ने अब इस मामले में प्रशासन से हस्तक्षेप करते हुए पेंशन दिलाने की मांग करते हुए एसडीएम को लिखित पत्र दिया है। बहरहाल देखने वाली बात होगी कि पिछले दस वर्षों से पेंशन की राह ताक रहे जयलाल को पेंशन दिलाने को लेकर प्रशासन कितना सक्रिय होता है और कब जयलाल को इंसाफ मिल पाता है ये वक्त ही बताएगा।

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