छत्तीसगढ़सूरजपुर

वादा और दावा सब कागजी! मूलभूत सुविधाओं के इंतजार में बैठे पण्डो समुदाय, विकास से कोसो दूर

अंकित सोनी@सूरजपुर। 21वीं शदी के इस आधुनिक युग में जहां आज इंसान चांद तक पहुंच गया है वहीं आज भी कई ऐसे इलाके हैं जो मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाए हैं। हम आपको आज ऐसे ही एक गांव की तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जहां के लोग आज भी बिजली और सड़क,, पुलिया जैसी मूलभूत सुविधाओं के इंतजार में बैठे हुए हैं।

तस्वीरों में नजर आ रहा यह नजारा किसी दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्र का नहीं बल्कि सूरजपुर जिले के बेलटिकरी गांव के पंडोपारा बस्ती का है, जो जिला मुख्यालय से महज 10 किमी ही दूरी पर स्थित है। जिला मुख्यालय से लगे होने के बावजूद भी यहां रहने वाले पण्डो जनजाति के लोगों को ना तो अब तक सड़क और पुलिया नसीब हो पाई है और ना ही बिजली। सरकारें आई और चली भी गई। वोटों के लिए वादे और दावे भी खूब हुये। मगर यहां रहने वाले लोगों का विकास अब तक नहीं हो सका है। आलम यह है कि यहां के रहवासी आज भी विकास को लेकर शासन प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं ।

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले इन पण्डो समुदाय के लोगों के उत्थान को लेकर वैसे तो लाख वादे किए जाते हैं। मगर जब ऐसी तस्वीरें सामने आती है तो जमीनी हकीकत ठीक इसके विपरीत नजर आती है। जब शासन प्रशासन से यहां के लोग मदद की गुहार लगाकर थक गए। तब खुद ही बांस के खम्भों के सहारे किसी प्रकार स्वयं के खर्चे पर तार खींचकर घर बिजली की सप्लाई लेकर आये। यह टेंपरेरी जुगाड़ है। बारिश के दिनों में अक्सर यहां बांस के खम्भे टूट कर गिर जाया करते हैं। जिससे करंट लगने से दुर्घटना का भी खतरा इन ग्रामीणों पर बना रहता है। वही बिजली एक बार जाने के बाद दोबारा कब वापस आएगी इसका कोई समय निर्धारित नही होता है. जिसकी वजह से इन लोगों को कई दिनों तक अंधेरे में ही अपना गुजर बसर करना पड़ता है । यह मामला जब जिले के कलेक्टर रोहित व्यास के पास पहुँचा तो उन्होंने कहा कि मामला मीडिया के माध्यम से संज्ञान में आया है> उनके द्वारा जिला पंचायत के सीईओ को निर्दशित किया जाएगा कि वहां का निरीक्षण कराया जाए और जो भी समस्याएं है उनको जल्द से जल्द दूर करने का प्रयास प्रशासन करेगा ।

पंडो और भूंजिया जनजाति अब तक इस योजना से दूर

देशभर में पिछड़ी जनजातियों के लिए पीएम जनमन योजना शायद सबसे बड़ी योजना है, लेकिन पंडो और भूंजिया जनजाति अब तक इस योजना से दूर है। ऐसी विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह के लिए 1960 के करीब एक सूची बनाई गई थी। जिसे PVTG कहा जाता है, लेकिन ताजुब की बात यह भी है कि ये जनजातियां छत्तीसगढ़ में तो PVTG की श्रेणी में आती हैं। वहीं PVTG की केंद्रीय सूची में यह शामिल नही है। जिसकी वहज से आज भी योजनाओं का लाभ इन लोगों को नहीं मिल पा रहा हैं। आज जरूरत है कि प्रदेश सरकार इनके उत्थान के लिए पहल करके सूची में इन्हें शामिल करवाए, ताकि योजनाओ का लाभ इन्हें मिल सके और इनका सामाजिक आर्थिक विकास हो जिससे बसाहट वाले ऐसे गांव जहां आज भी यह जनजाति निवास करती है वहां तक विकास पहुंच सके ।

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