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छत्तीसगढ़ में नक्सल नीति पर भूपेश ने उठाए सवाल, सीएम ने दिया जवाब

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के मुद्दे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। गुरुवार को भूपेश बघेल ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने के दावे केवल कागजों तक सीमित हैं।

उन्होंने सवाल किया कि यदि सरकार की नीतियां प्रभावी हैं, तो नक्सली छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण क्यों नहीं कर रहे, जबकि वे तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में जाकर सरेंडर कर रहे हैं। भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अब भी ज्यों का त्यों बना हुआ है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह द्वारा छह महीने में नक्सलवाद खत्म करने के वादे का भी जिक्र किया और कहा कि नतीजे सबके सामने हैं।

वहीं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भूपेश के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ईमानदारी से प्रयास करती, तो नक्सलवाद पहले ही खत्म हो जाता। भाजपा सरकार बनने के बाद 2100 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें कई शीर्ष माओवादी नेता भी शामिल हैं। इनमें 1785 को गिरफ्तार किया गया और 477 को न्यूट्रलाइज किया गया।

18 अक्टूबर को जगदलपुर में 210 नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर किया, 153 हथियार भी सौंपे गए। सरेंडर करने वालों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक थी। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरेंडर करने वालों को पुनर्वास नीति के तहत मकान, जमीन और तीन साल तक आर्थिक सहायता दी जाएगी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगस्त और दिसंबर 2024 में छत्तीसगढ़ का दौरा कर नक्सलियों को चेताया और 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद खत्म करने की डेडलाइन दी। इसके बाद बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज हो गए हैं।

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