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IAS लॉबी के सामने पूर्व मंत्री ने खोला मोर्चा, CM से की शिकायत

भोपाल। मध्य प्रदेश में भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई में ढील सामने आई है। ताजा मामला ग्रामीण आजीविका परियोजना से जुड़ा हुआ है, जहां संविदा पर कार्यरत सुषमा रानी और विकास अवस्थी पर गंभीर आरोप लगे हैं। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है, लेकिन प्रशासन ने इन्हें पद से हटाने में कोई कदम नहीं उठाया। इस पर पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

सुषमा रानी पर गंभीर आरोप
ग्रामीण आजीविका परियोजना में सुषमा रानी पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल की। जांच रिपोर्ट में इसे मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियमों के खिलाफ पाया गया है। इसके अलावा, मध्य प्रदेश वित्तीय संहिता का भी उल्लंघन किया गया है।

विकास अवस्थी का विवादित कदम
IAS अफसर नेहा मारव्या ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि एसीओ विकास अवस्थी ने बिना अनुमति के एक एचआर मार्गदर्शिका बनाई, जिसके तहत कई नियुक्तियां की गईं। इसमें न तो विभागीय मंत्री की आपत्तियों को ध्यान में रखा गया और न ही ग्रामीण विकास विभाग के सचिव के निर्देशों का पालन किया गया।

पूर्व मंत्री की मांग
पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने इस मामले में ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी को पत्र लिखा है। उन्होंने सवाल उठाया कि एफआईआर के बाद भी सुषमा रानी शुक्ला की सेवाएं क्यों समाप्त नहीं की गईं। उन्होंने यह भी कहा कि तीन आईएएस अफसरों की जांच में सुषमा रानी दोषी पाई गईं हैं, फिर भी उन्हें पद से क्यों नहीं हटाया गया।

संविदा नियुक्तियों पर भी सवाल
दीपक जोशी ने आजीविका मिशन में 100 से अधिक संविदा नियुक्तियों पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि संविदा सेवा शर्तों में भ्रष्टाचार और अनियमितता के दोषियों को हटाने का नियम है, लेकिन इसके बावजूद सुषमा रानी के खिलाफ एफआईआर के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने प्रशासन की इस उदासीनता को भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला बताया।

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