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Bhilai: राष्ट्रीय शिल्पकला कार्यशाला,देशभर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों ने अनूठी कला का प्रदर्शन, लाइम स्टोन को तराश कर अनेक मूर्तियां उकेरी

अनिल गुप्ता@दुर्ग। भिलाई में लगी राष्ट्रीय शिल्पकला कार्यशाला में देशभर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों ने अनूठी कला का प्रदर्शन कर लाइम स्टोन को तराश कर अनेक मूर्तियां उकेरी है. कार्यशाला के अंतिम दिन स्वामी विवेकानंद, रविन्द्रनाथ टैगोर, मिनी माता, राईस बाल, अमृत कुंभ, थंब आदि विविध भव्य मूर्तियों को अंतिम रूप दिया गया। देश भर से आये प्रसिद्ध मूर्तिकारो ने छह दिनों तक चले इस कार्यशाला में तरह तरह के अपने थीम पर अलग-अलग मूर्तियों को गढ़ कर अंतिम रूप देकर उनमे मानो जान डाल दिया

इस कार्यशाला में मूर्तिकारों ने लाइम स्टोन पर अलग-अलग मूर्तियां उकेरी है।भिलाई इस्पात संयंत्र, संस्कार भारती और ललित कला अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय स्तर की शिल्पकला कार्यशाला सेक्टर 3 स्थित हॉस्टल में लगाई गई थी। इस तरह का कार्यशाला भिलाई में पहली बार आयोजित किया गया था। जहाँ देशभर से आये 20मूर्तिकारों ने हिस्सा लिया है. कार्यशाला के संयोजक अंकुश देवांगन थे। संस्कार भारती के अजय मिश्र के अलावा वरिष्ठ कलाकार सुनीता वर्मा का कार्यशाला में सहयोग रहा. भारतीय स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय शिल्पकला कार्यशाला में देशभर के 20 शिल्पकारों ने अपनी कला प्रतिभा का प्रर्दशन किया। यहां पर महापुरुषों सहित 20 मूर्तियां बनाई गई है।इस कार्यशाला में तैयार की गई मूर्तियां देश के पहले अमृत महोत्सव गार्डन में सजाया जाएगा।

त्रिपुरा की संता देव ने मूर्ति में सिंबल ऑफ पॉवर दिखाने का प्रयास किया है। उनका कहना है, कि नेचर में पावर विद्यमान है। प्रकृति के बिना कोई भी कार्य नहीं होता, उन्होंने अपनी कृति में इसे अद्भुत ढंग से दिखाया है। मुंबई के वैभव मोरे ने बीएसपी को प्रतिनिधित्व किया है। जिसमें बीएसपी के प्लेट मिल, रोलिंग्स के डायरेक्शन तथा आर्किटेक्चर को प्रदर्शित करने का प्रयास किया है. मूर्ति के सामने स्टील प्लेट लगाया गया है जो एशिया के सबसे बड़े प्लांट भिलाई स्टील प्लांट को प्रदर्शित करता है।अमरकंटक के कलाकार जसपाल सिंह टेकाम ने बताया कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं ऐसे में आजादी की लड़ाई में अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपना योगदान दिया है. उन्होंने छग की पहली महिला सांसद मिनीमाता को याद करते हुए उनकी प्रतिमा को अंतिम रूप दिया है।

दल्लीराजहरा के किल्लेकोड़ा के मूर्तिकार राजेंद्र कोलियारा ने बताया कि वे स्वामी विवेकानंद के आदर्शों से काफी प्रभावित हैं. उनका महान व्यक्तित्व था, हालांकि हम सभी उनके बारे में जानते हैं लेकिन उन्हें स्वामी विवेकानंद की मूर्ति बनाने में काफी सार्थकता नजर आई।

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