Bhilai: मतवारी गांव की गायत्री स्व-सहायता समूह बना रही हर्बल गुलाल, 15 दिनों की मेहनत में तैयार किया गुलाल, अन्य जिलो से भी डिमांड
अनिल गुप्ता@भिलाई। रंगों के त्योहार होली की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. इस त्योहार की रौनक अलग ही होती है. रंग-बिरंगे चेहरे खुशी से इठलाते नजर आते हैं. कई बार केमिकल युक्त रंग-गुलाल के कारण त्योहार का मजा किरकिरा हो जाता है. लोगों को इससे एलर्जी भी हो जाती है. लेकिन अब ऐसे रंग या गुलाल से डरने की जरूरत नहीं है. क्योंकि दुर्ग जिले के मतवारी गांव की गायत्री स्व-सहायता समूह हर्बल गुलाल बना रही है.इस हर्बल गुलाल से स्किन को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।
हिंदुओं के विशेष पर्वों में से एक पर्व होली जिसका अपना खास महत्व है। हर क्षेत्र में होली का पर्व अलग अलग रीति रिवाजों से मनाया जाता है। होली के पर्व का प्रतीक रंग गुलाल है। जिसे लोग एक दूसरे को लगाते है होली के ठीक पहले रंग और गुलाल की बिक्री बढ़ जाती है सभी एक दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं लेकिन इस बार होली में सब्जी भाजी से बने रंग काफी पसंद किए जा रहे हैं।
दुर्ग के मतवारी गांव की गायत्री स्व-सहायता महिला समूह हर्बल गुलाल तैयार कर रही है. हर्बल गुलाल बनाने के लिए सबसे पहले अरारोट या मक्का के पाउडर में चुकंदर,पालक भाजी,पलाश, हल्दी इत्यादि का इतेमाल किया जाता है. जिसके बाद रंग-बिरंगे हर्बल गुलाल बनाया जाता है. इसमें किसी प्रकार का केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता.गायत्री स्व-सहायता समूह की सदस्य ने बताया कि हर्बल गुलाल बनाने का परीक्षण लिया गया है. यह हर्बल गुलाल लोगों के स्किन के लिए फायदेमंद है और बाजारों में मिलने वाले गुलाल से काफी अच्छा है उन्होंने बताया कि इस साल हर्बल गुलाल की डिमांड बहुत अधिक है लेकिन समय के अभाव के कारण टारगेट पूरा नहीं कर पा रहे हैं। आगामी समय में ज्यादा मात्रा में हर्बल गुलाल तैयार करेंगे।
ताकि जिले के साथ प्रदेश स्तर पर भी हर्बल गुलाल उपलब्ध किया जा सके वही उन्होंने बताया कि महिलाएं घर के काम करने के बाद हर्बल गुलाल बनाने में जुट जाते हैं. इस काम से हमे रोजगार भी मिल रहा है. जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है। श्वेता यादव ने बताया कि प्राकृतिक चीजों से ही हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है इस गुलाल बनाने के लिए चुकंदर,गुलाब के रस का प्रयोग किया गया। साथी इस में गेंदे का फूल का भी इस्तेमाल किया, महिलाओं को गुलाल का आर्डर 50 हजार रुपए का मिल चुका है। 15 दिनों में समूह की महिलाओं ने कड़ी मेहनत करके हर्बल गुलाल तैयार किया है. हर्बल गुलाल की छत्तीसगढ़ प्रदेश के अलावा अन्य जिलों में भी डिमांड है.