बिलासपुर। दीपावली पर मां लक्ष्मी को बताशे का भोग लगाने की परंपरा बहुत पवित्र मानी जाती है, लेकिन बिलासपुर में तैयार हो रहे बताशों की हालत देखकर यह पवित्रता सवालों के घेरे में आ गई है। दैनिक भास्कर की पड़ताल में खुलासा हुआ कि शहर में कई जगह गंदगी, मक्खियों और बदबू के बीच बिना किसी सफाई व्यवस्था के बताशे बनाए जा रहे हैं।
बताशे तैयार करने वाले मजदूर चप्पल पहनकर उसी शीट पर चलते नजर आए, जिस पर उबलती चाशनी गिराई जा रही थी। जहां मिठास भरी चाशनी पक रही थी, वहीं आसपास गोबर, धूल और कचरे का अंबार था। कई जगह मक्खियां चाशनी और गंदगी के बीच मंडराती दिखीं। शनिचरी बाजार समेत शहर के कई इलाकों में घरों के बाहर और सड़कों के किनारे बिना ढके बर्तनों में बताशे बनाए जा रहे हैं।
बताशा बनाने की प्रक्रिया में शक्कर और बेकिंग सोडा को पानी में उबालकर टिकिया बनाई जाती है, जिसे सूखाकर बाजार में बेचा जाता है। लेकिन, जिस तरह से यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है, वह पूरी तरह अस्वच्छ है। बर्तन गंदे हैं, मजदूर बिना दस्ताने और जूते-चप्पल पहने खुले में काम कर रहे हैं।
धार्मिक दृष्टि से बताशे सुख, प्रेम और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। लेकिन जिस तरह यह तैयार किए जा रहे हैं, उससे न केवल लोगों की आस्था को ठेस पहुंच रही है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।
खाद्य सुरक्षा विभाग की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। अफसर मिठाई दुकानों से सैंपल तो लेते हैं, लेकिन जहां यह उत्पाद बनाए जा रहे हैं, वहां जांच करने नहीं पहुंचते। दिवाली जैसे पर्व पर प्रशासन और खाद्य सुरक्षा विभाग की यह लापरवाही सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है।