बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: इलाहाबाद HC में याचिका, आरोपियों को बरी करने को दी चुनौती

लखनऊ। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बरी किए गए लोगों के खिलाफ एक पुनरीक्षण रिट याचिका दायर की गई है, जिसमें सीबीआई की विशेष अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें भाजपा के शीर्ष नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था।
जानकारी के मुताबिक अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में एक नया मोड़ सामने आया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में हाजी महबूब और सैयद अख़लाक़ अहमद की ओर से बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बरी किए गए लोगों के ख़िलाफ़ पुनरीक्षण रिट याचिका दायर की गई है . जबकि मामला छह महीने पहले दर्ज किया गया था, इस पर कल 18 जुलाई को सुनवाई होने वाली है.
ट्रायल का कारण
बाबरी विध्वंस का मामला सबसे पहले तत्कालीन फैजाबाद जिले के राम जन्मभूमि थाने में दर्ज किया गया था। शुरुआत में उत्तर प्रदेश पुलिस इसकी जांच कर रही थी लेकिन बाद में मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया। लंबी जांच के बाद लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने इस घटना को योजनाबद्ध नहीं बल्कि आकस्मिक माना था। अदालत ने दिसंबर 1992 की घटना में साजिश के सिद्धांतों को खारिज कर दिया था जिसमें कार सेवकों की भीड़ द्वारा मुगल-युग के स्मारक को जमीन पर गिरा दिया गया था। इसलिए इस मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे हाजी महबूब ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सैयद अख़लाक़ अहमद की ओर से एक पुनरीक्षण रिट याचिका दायर की है. इस याचिका का क्रमांक 806 है। हाजी महबूब व अन्य की ओर से रफत फारूकी, नजम जफर, खालिक अहमद मामले का बचाव करने जा रहे हैं। उनके विरोध में शिव प्रसाद शुक्ला खड़े नजर आएंगे।
बाबरी विध्वंस मामले में भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, साध्वी ऋतंभरा, नृत्य गोपाल दास, मौजूदा राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष, उमा भारती और भाजपा नेता विनय सिंह सहित 32 लोगों को आरोपी बनाया गया था। राम मंदिर आंदोलन फिलहाल इनमें से 17 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अब इस रिट याचिका में बाकी आरोपियों को दोषी ठहराने की याचिका लगाई गई है।
बाबरी विध्वंस का पूरा मामला
राम मंदिर आंदोलन के दौरान तत्कालीन फैजाबाद जिले के राम जन्मभूमि थाने में बाबरी मस्जिद गिराए जाने को लेकर अलग-अलग मामले दर्ज किए गए थे. इस मामले में बीजेपी के कई बड़े नेताओं का नाम था जिनमें लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी शामिल हैं.
पूरे मामले को यूपी पुलिस से सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया और सीबीआई कोर्ट में ही मामले की सुनवाई हुई. जिसके बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. हिंदू पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि यह वास्तव में एक राम मंदिर था और जीर्ण-शीर्ण मंदिर को जीर्णोद्धार के लिए ध्वस्त कर दिया गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण किया जा रहा है.
इसी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मस्जिद के निर्माण के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन आवंटित करने का भी निर्देश दिया।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
अयोध्या मंदिर मस्जिद विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुलझा। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।
हालांकि, बाबरी मस्जिद विध्वंस वादी हाजी महबूब ने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि मस्जिद को तोड़ा गया था। एक बार फिर इस मामले से जुड़े सबूत पेश किए जाएंगे।