Chhattisgarh: इन पदों पर रोक लगाने कर्मचारियों ने सीएम को लिखा पत्र, की ये मांग

रायपुर। (Chhattisgarh) स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ छ.ग. द्वारा स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारियों को नियम विरूद्ध पदोन्नति जिसमे नेत्र सहायक अधिकारी, लैब तकनिशियन और रेडियोग्राफर आदि पदो पर पदोन्नति पर रोक लगाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री , स्वास्थ्य मंत्री , स्वास्थ्य सचिव और संचालक स्वास्थ्य सेवाए को संघ का माध्यम से पत्र लिखा गया है।
संघ के प्रांताध्यक्ष टार्जन गुप्ता और प्रांतीय सचिव प्रवीण ढ़ीडवंशी ने बताया कि स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी टेक्निशियन के समकक्ष योग्यताधारी पद है और इन्हीं केडर के समतुल्य वेतन विसंगति दूर करने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। विभाग द्वारा भी शासन को वेतन विसंगति दूर करने और स्वास्थ्य संयोजकों का वेतनमान टेक्निशियन कर्मचारियों के समतुल्य करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, साथ ही शासन द्वारा भी वेतन विसंगति दूर करने के लिए गठित कमिटी, राज्य प्रशासनिक सुधार आयोग को भी स्वास्थ्य संयोजकों की वेतन विसंगति दूर करने और टेक्निशियन के समतुल्य वेतनमान प्रदान करने के लिए प्रस्ताव उचित अभिमत के साथ भेजा गया है । भर्ती नियम 2013 के अनुसार स्वास्थ्य संयोजकों का पदोन्नत पद स्वास्थ्य पर्यवेक्षक महिला और पुरुष, खंड प्रशिक्षण विस्तार अधिकारी के पद है ,
(Chhattisgarh) साथ ही विभागीय जी एन एम और बी एस सी नर्सिंग प्रशिक्षण प्राप्त कर्मचारियों को स्टाफ नर्स पर पदोन्नत किया जाता है, किन्तु विभाग द्वारा भर्ती नियम 2020 में बहुत सारी विसंगति और त्रुटि है जिसमें कई टेक्निशियन पदो को पदोन्नत पद में शामिल कर दिया गया है, पूर्व में जारी पत्रो और अभिमत के आधार पर नियम विरुद्ध है , टेक्निशियन पदों पर पदोन्नत करने से पदोन्नति की श्रृंखला बंद हो जाएगी। वेतनमान में विसंगति और बढ़ जाएगी, नर्सिंग और नॉन टेक्निशियन संवर्ग के कर्मचारियों को टेक्निकल सवर्ग में पदोन्नति असवैधनिक होगा।
(Chhattisgarh) साथ ही नर्सिंग संवर्ग के कर्मचारियों के लिए शासन द्वारा गठित कमिटी के रिपोर्ट अनुसार वर्तमान में नर्सिंग संवर्ग को टेक्निशियन संवर्ग से अलग कर उनके वेतनमान का निर्धारण अलग से करने सम्बन्धी प्रतिवेदन शासन को दिया गया है । उक्त अनेक कारण से स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ द्वारा टेक्निशियन पदो पर पदोन्नति में तत्काल रोक लगाने की मांग शासन के समक्ष किया है, शासन द्वारा कार्यवाही नहीं होने की दशा में संघ द्वारा उचित रणनीति के तहत आंदोलन और न्यायालय की शरण में जाने कि तैयारी है।