
बिपत सारथी@गौरेला पेंड्रा मरवाही। सुबह का वक्त आगनबाड़ी कार्यकर्ता हर रोज की तरह आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचती है। बच्चें भी अपने नियत समय पर केंद्र पहुंच जाते हैं, और बाहर छांव में बैठे रहते हैं। तभी कार्यकर्ता आती है, और केंद्र के दरवाजे को खोलती है। तभी वह शांत खड़ी हो जाती है, और फिर जोर जोर से चिल्लाने लगती है और बच्चों को बाहर रोककर आसपास के ग्रामीणों को बुलाने के लिए दौड़ पड़ती है। जब ग्रामीण मौके पर पहुंचते हैं तो वे भी हैरत में पड़ जाते हैं। केंद्र के अंदर से दर्जनों की संख्या में सांप रेंग रहे हैं। वह भी कोई मामूली नहीं जहरीले सांप। तुरंत बाद स्नेक रेस्क्यू टीम को इसकी सूचना दी जाती है और मौके पर पहुंचकर सांपो का रेस्क्यू करते हैं। जिसके बाद वहां मौजूद लोगों चैन की सांस लेते हैं, लेकिन डर की वजह से कोई केंद्र के कमरे में जाने को तैयार नहीं है।
अब जानते हैं आखिर क्या है पूरा मामला
मरवाही के करगीकला छलकाटोला आंगनबाड़ी केंद्र काफी खंडहर हो चुका है। टूटी हुई छत्त, कमरे के अंदर जगह-जगह दरारें, सीलिंग लगातार टूटकर गिर रहा है। जिससे लोहे के छड़ दिखने लगे हैं। इसकी कई बार शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से भी की गई, लेकिन उनके कान में जूं तक नहीं रेंगता…और हर बार ग्रामीणों की शिकायत को अनदेखा कर आंगनबाड़ी को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। जिसका खामियाजा नौनिहालों को भुगतना पड़ता। सांपों के रेंगने का वीडियो भी सामने आया है। जिसमें देखा जा सकता है कि वुल्फ स्नेक चारों तरफ रेंग रहे हैं। जिसकी जानकारी तुरंत परियोजना अधिकारी को दी गई, फिर वन विभाग को जानकारी दी गई। जिसके तुरंत बाद स्नैक रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंचकर सांपों का रेस्क्यू किया। दस हजार से ज्यादा सांपो का रेस्क्यू कर चुके सर्प मित्र द्वारिका कोल ने बताया की इस आंगनबाड़ी का पूरा माहौल सांपो के लिए उनके रहवास के जैसा ही है,थोड़ी राहत की बात यह रही की निकले हुए सांप वुल्फ स्नेक थे जो दिखने में पूरे कॉमन करैत के जैसे नजर आते हैं। लेकिन ग्रामीणों की माने तो कई बार भवन जर्जरता की जानकारी बाल विकास एवं परियोजना में व अधिकारियों को दी गयी है बावजूद इसके अब तक बच्चों की जान को जोखिम में डालकर उन शिकायतों को दरकिनार किया गया है। अब देखने वाली बात यह होगा कि कब तक आंगनबाड़ी भवन का मरम्मत कार्य शुरू हो पाता है।