
मीनू साहू@बालोद. छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में धर्म नगरी नर्मदा धाम सुरसुली पर कनिष्ठ जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी आत्मानंद सरस्वती महाराज का चार्तुमास पर्व उनके शिष्यों द्वारा अयोजित किया गया है। इस अवसर पर कनिष्ठ शंकराचार्य ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार इस काल में पृथ्वी पर रज-तम की वृद्धि के कारण सात्त्विकता बढ़ाने के लिए चातुर्मास में व्रतस्थ रहना चाहिए. चातुर्मास का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी ये चार माह खानपान में अत्यंत सावधानी बरतने के होते हैं। ये चार माह बारिश के होते हैं।
इस समय हवा में नमी काफी बढ़ जाती है जिसके कारण बैक्टीरिया कीड़े, जीव जंतु आदि बड़ी संख्या में पनपते हैं। और शरीर की पाचनशक्ति भी कमजोर हो जाती है। इसलिए पूर्णमासी व्रत का पालन करते हुए जीवन बिताना चाहिए।