
संदेश गुप्ता@धमतरी। (Mahatma Gandhi Jayanti Special) आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती सिर्फ याद बनकर ही रह गई है। गौरतलब है कि अग्रेंज सरकार ने किसानों पर सिचाई टैक्स के विरोध में धमतरी जिले के ग्राम कंडेल् में 21 दिसम्बर 1920 को महात्मा गांधी की मौजूदगी में सत्याग्रह हुआ था। यह सत्याग्रह् कंडेल् नहर सत्याग्रह के नाम पर पूरी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। सत्याग्रह जुलाई से दिसंबर तक चला था। आंदोलन का मुख्य कारण अग्रेंज सरकार द्धारा लगाए गए अन्याय पूर्वक् सिचाई टैक्स था। (Mahatma Gandhi Jayanti Special) रुद्री बैराज के माध्यम से पानी देने के एवज में अग्रेंज किसानों से 10 साल का अनुबंध चाहते थे और अनुबंध राशि हजारों में थी। इसलिए किसानों ने अनुबंध नहीं किया।
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(Mahatma Gandhi Jayanti Special) बता दे कि नारायण राव मेघा वाले ,और बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव कंडेल् निवासी के अगुआई में किसानों ने कंडेल् में अंग्रेजो के खिलाफ जुलाई से दिसंबर तक नहर सत्याग्रह किया. अगस्त में माहौल कुछ गर्म था. अग्रेजों ने किसानों पर नहर काटकर पानी चोरी के आरोप में 4 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। जो कि उस समय के किसानों के लिए भारी भरकम राशि थी। जिसका बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव और किसानों ने जमकर विरोध किया और जुर्माना नहीं चुकाया। जिसके कारण अंग्रेजों ने किसानों के मवेशियों को जप्त कर नीलामी लगाई। नीलामी साप्ताहिक बाज़ार इतवारी बाजार में लगाई गई। पर किसी ने भी कोई मवेशी नहीं खरीदा। कारण जुल्म और ज्याद्ती से सब त्रस्त हो चुके थे।
इस बीच बापूजी दो बार धमतरी आए और उनका भव्य स्वागत हुआ था। लोगो ने उन्हें जुलूस के साथ बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव के घर पंहुचाया। वो बाबु छोटेलाल् श्रीवास्तव से और धमतरी में विधवा विवाह ,अछुत् उद्धार के लिए चलाये जा रहे कार्यकर्मो से खासे प्रभावित हुए। पहली बार महात्मा गांधी 1920 मे कंडेल् आए। फिर दूसरी बार 1933 को आए। आंदोलन के लिए कोस एकत्रित हुआ। शहर में तो गांधी जी से सम्बंधित निशान आज भी मौजूद है। पर कंडेल में सत्याग्राह् से सम्बधित कोई स्मृति चिन्ह् नहीं है और नहीं कोई स्मारक् ।
सत्याग्रह को आंदोलन का रूप देने पंडित सुंदर लाल शर्मा,बाबू छोटेलाल् श्रीवास्तव, और नारायण राव मेघा वाले ने अहम भूमिका निभाई ।आदोलंन को तेज कराने गांधी जी को बुलाने की तैयारी हुई। पंडित सुंदर लाल शर्मा ने 1920 में कलकत्ता में हुये कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में गए। गांधी को धमतरी आने का आग्रह किया।
….स्मारक् सिर्फ प्रस्ताव में..
माहत्मा गांधी दो बार धमतरी आए सत्याग्रह किया। हालांकि कंडेल के लोगो को इसकी जानकारी नहीं है। कभी कोई सत्याग्रह हुआ था।
2019 को गाँधी विचार् पदयात्रा का आयोजन धमतरी में भी हुआ। तब लोगो को मालूम चला। सत्याग्रह का कोई स्थान नहीं है। बाबू छोटेलाल् श्रीवास्तव के पड़पोत्र् ने बताया विचार यात्रा के दौरान तत्कालिक कलेक्टर कंडेल् आए थे। मुड़हारम् कंवल वंशी ने ग्राम कड़ेल और बोरसी के बीच निकले नहर के पास वह जगह बताई। जहाँ सत्याग्रह के बाद गांधी जी को पानी अर्पित कर याद किया गया था।
पूर्व कलेक्टर रजत बंसल ने नेशनल हाइवे और कड़ेल जाने वाले रास्ते के आस पास स्मारक बनाने का प्रस्ताव बनाया था। पर वह आगे नहीं बढ़ सका….