सरगुजा-अंबिकापुर

Ambikapur: हाथियों का आतंक, बेघर हुए ग्रामीण…. 7 महीनों के भीतर 85 से अधिक ग्रामीणों के मकानों को तोड़ा

शिव शंकर साहनी@सरगुज़ा।  (Ambikapur) बीच यहाँ बेख़ौफ़ हो गए है. वहीं हाथियों के बढ़ते उत्पात के बीच मैनपाट वनपरिक्षेत्र के अलग-अलग रिहायशी इलाकों में हाथियों के दहशत और भारी उत्पात से लगातार कई ग्रामीण बेघर हो रहें है.

(Ambikapur) दरसअल छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वालें सरगुज़ा जिले के मैनपाट वनपरिक्षेत्र में रिमझिम बारिश और घने कोहरें के बीच जंगली हाथियों के उत्पात से बीते 7 महीनें से ग्रामीण उत्पात का मार झेल रहें है. उत्पाती हाथियों के दल ने बीते 7 महीनों के भीतर अभी तक 85 से अधिक ग्रामीणों के मकानों को तोड़कर उन्हें बेघर कर दिया है. (Ambikapur) अभी भी मैनपाट में हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिससे ग्रामीण बरसात के बीच हाथियों द्वारा स्वयं के मकान टूटे जाने से दोहरी मार झेल रहें है.

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मैनपाट में अभी भी हाथियों का दल लगातार उत्पात मचा रहा है. जिससे ग्रामीण और उनका परिवार रतजगा करने को मजबूर है. ग्रामीण और उनका परिवार हाथियों से बचने के लिए लगातार बारिश के बीच भींगने को मजबूर है. जिससे लगातार ग्रामीण बीमार भी हो रहें है.

गौरतलब है कि हाथियों के दल ने पिछले ही दिनों में मैनपाट के उरँगा पंचायत के पतरापारा में 1 ग्रामीण और मैनपाट के सरहदी क्षेत्र के से लगें रायगढ़ के बोरों रेंज में 2 ग्रामीणों को मौत के घाट उतार चुके है. जिसके बाद ग्रामीण हाथियों के दल के उत्पात से और भी दहशत में आ गए है.

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मामलें में सरगुज़ा कलेक्टर संजीव झा ने कहा कि मैनपाट में हाथियों के बढ़ते उत्पात के बीच लगातार फ़ॉरेस्ट अमला और राजस्व अमला डटा हुआ है और हाथियों से बचने के लिए लगातार दोनों अमला ग्रामीणों को हाथियों से बचने के लिए अलर्ट कर रहा है।

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