Ambikapur: कागजों में सिमटा पीएम आवास योजना, अब दर-दर भटक रहे ग्रामीण, देखिए Video

शिव शंकर साहनी@सरगुजा। (Ambikapur) जिले के मैनपाट क्षेत्र में केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना पीएम आवास कागजों में बनकर तैयार हो गई है. जहां भ्रष्टाचार का एक छोटा सा उदाहरण मैनपाट के ग्राम नर्मदापुर में देखने को मिला है. नर्मदापुर में लगभग 25 हितग्राहियों के आवेदन पर पीएम आवास योजना के तहत पक्का मकान बनाए जाने की स्वीकृति मिली थी.
(Ambikapur) लेकिन पीएम आवास योजना का लाभ भोले-भाले ग्रामीणों को नहीं मिल सका और हितग्राहियों की स्वीकृत राशि को अधिकारियों की मिलीभगत से आहरण कर लिया गया है. जबकि गांव में पक्के मकान का निर्माण हुआ ही नहीं है. पात्र हितग्राही आज भी आवास योजना के लिए दर-दर भटक रहे और कच्चे मकान में रहने को मजबूर हैं.
(Ambikapur) हितग्राहियों ने बताया की जब इस मामले की जानकारी उन्हें लगी कि पीएम आवास योजना की पहली क़िस्त किसी और के खाते में ट्रांसफर कर दी गई है तो उन्होंने मामले की शिकायत अधिकारियों से की लेकिन कोई सुनवाई नही हुई और होती भी कैसे मामला जो करोड़ो के भ्रष्टाचार का है..
Koreya: 3 डॉक्टरों की निगरानी में भालू का पोस्टमार्टम, अब हुआ अंतिम संस्कार, ये अधिकारी रहे मौजूद
मंत्री ने कहा जिसने बरती लपरवाही नहीं बरता जाएगा
इधर नर्मदापुर में हुए पीएम आवास योजना के भ्रष्टाचार के मामले में क्षेत्र के विधायक व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि जो भी इस मामले में संलिप्त होगा उसे किसी भी प्रकार की रियायत नहीं दी जाएगी और उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होगी..वही सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा ने पीएम आवास योजना के तहत हुए भ्रष्टाचार के मामले में कहा कि इस बात की जानकारी उन्हें नहीं है.. लेकिन मीडिया ने इस मामले को संज्ञान में लाया है..अब इस मामले की जांच करा कर संबंधित लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी..
भ्रष्ट सिस्टमों की वजह से कागजों में सिमटा पक्का मकान
बहरहाल पात्र हितग्राहियों के पक्के मकान में रहने का सपना भ्रष्ट सिस्टम की वजह से कागजों में सिमट कर रह गया. कई हितग्राहियो के पहली किस्त और कई हितग्राहियो की दूसरी क़िस्त के लिए दफ्तरों के चक्कर काटते रहे. लेकिन अब देखने वाली बात होगी कि जिले के सबसे जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी और मंत्री के द्वारा दिया गया बयान पात्र हितग्राहियों के हित में कितना कारगर साबित होता है।