Ambikapur: मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सकों को मिली बड़ी सफलता, अस्थि समेकन से पीड़ित एक का उपचार कर दिया नया जीवनदान

शिव शंकर साहनी @सरगुजा। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सकों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। जहां चिकित्सकों की टीम ने अस्थि समेकन से पीड़ित एक युवती का उपचार कर उसे नया जीवन दान दिया है। यह पहला मौका है जब मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में अस्थि समेकन पीड़ित मरीज का ऑपरेशन किया गया है।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए यह सरगुजा संभाग का पहला मामला था जब चिकित्सकीय भाषा में अस्थि समेकन जैसा केश सामने आया। बड़ी बात यह है कि युवती की इस बीमारी का पूरा इलाज आयुष्मान योजना के जरिए किया गया। यही ऑपरेशन बाहर शहर के किसी निजी अस्पताल में हुआ होता तो कम से कम पीड़ित के परिजनों को ढाई लाख से ज्यादा रुपए खर्च करने पड़ते।
दरअसल सूरजपुर जिले के भैयाथान क्षेत्र ग्राम धरती पारा निवासी सोन कुंवर प्रजापति 19 वर्ष की हो चुकी है। परंतु कई वर्षों से उसके जबड़े और खोपड़ी की हड्डी जुड़ जाने के कारण उसका मुंह बिल्कुल भी नहीं खुल पा रहा था। भोजन नहीं कर पाने के कारण हालात ऐसे हो चुके थे कि इतनी उम्र में भी उसका वजन मात्र 26 किलो था और शरीर में मात्र 5 ग्राम खून ही बचा था। ऐसे में वह किस तरह से जिंदा थी इस पर भी चिकित्सकों द्वारा आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा था।
पीड़ित युवती के पिता नहीं है उसकी मां सोमारो और उसके भैया भाभी उसे 25 दिसंबर वर्ष 2021 को मेडिकल कॉलेज अस्पताल के दंत विभाग में डॉक्टर अभिषेक हरीश के पास लेकर पहुंचे। डॉक्टर अभिषेक ने पीड़ित युवती का जब अस्पताल में ही सिटी स्कैन कराया तो पता चला कि उसके खोपड़ी की हड्डी और जबड़े की हड्डी दोनों जुड़ चुकी है। यह किस कारण से हुआ यह तो पता नही चल सका। लेकिन जब यह बात सामने आई तब डॉक्टर हरीश ने अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर लखन सिंह को इसकी जानकारी दी।
अस्पताल अधीक्षक के मार्गदर्शन के साथ-साथ पीड़ित के आगे की जांच व उपचार की नीति तैयार की गई। युवती के शरीर में मात्र 5 ग्राम खून होने के कारण ऑपरेशन के पहले उसे दो बोतल खून की व्यवस्था कराई गई। 2 घंटे सर्जरी करने के बाद डॉ अभिषेक हरीश ने उसे 3 दिन आईसीयू में रखा इसके बाद 7 दिन नॉर्मल वार्ड में दाखिल किया गया था। अब सोनकुंवर पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी है और अब आसानी से वह खान पान कर पा रही हैं। चिकित्सकों के अनुसार अब उसका वजन भी 35 किलो भी हो चुका है। गौरतलब है कि ऑपरेशन से पहले किसी भी मरीज को एनेस्थीसिया देने के लिए उसके मुंह से ही दवा देकर बेहोश किया जाता है चुकि पीड़ित युवती का मुंह पूरी तरह से बंद था इस कारण पहली बार सांस की नली को काटकर ईएनटी के डॉक्टर हरवंश के द्वारा जगह बनाई गई। इसके बाद डॉक्टर मधुमिता मूर्ति और डॉक्टर शिवानी के द्वारा एनेस्थीसिया की प्रक्रिया पूरी की गई।