Taliban: जहन्नुम बना तालिबानी शासन, हालात बद से बदतर, भुखमरी-कर्ज के कारण अपनी बेटियों को बेच रहे अफगानी!

काबुल। (Taliban) तालिबान राज के बाद अफगानिस्तान बद से बदतर बनता जा रहा है। यहां के आर्थिक हालात इतने खराब हैं कि लोग भूख से तड़प रहे हैं। बैंकों में नकदी खत्म हो चुकी है। तालिबानी सरकार के पास भी फंड नहीं बचा है। व्यापार ठप है और आम जनजीवन त्रस्त हो चुका है। इस बीच अफगानिस्तान से ऐसी खबर सामने आई है, जो किसी के भी रोंगटे खड़े कर देने के लिए काफी है। (Taliban) परिवार का पेट पालने के लिए कई लोग अपनी बच्चियों को शादी के लिए बेचने को मजबूर हो गए हैं।
(Taliban) लोग अपनी छोटी-छोटी बच्चियों का सौदा दोगुनी उम्र के लोगों से कर दे रहे हैं. एक सामाचार एंजेसी से बात करते हुए एक पिता ने बताया कि उनकी 13 और 15 साल की बेटियां थी. मेरा परिवार भूख से मर रहा था. तो मैंने दोगुनी उम्र के शख्स से उनका सौंदा कर दिया. इसके लिए मुझे 3 हजार डॉलर की पेमेंट मिली है। अगर भविष्य में पैसा खत्म हो गया तो मुझे मजबूरन अपनी 7 साल की बच्ची को बेचना पड़ेगा। अगर ऐसा नहीं किया तो मेरा परिवार भूख से मर जाएगा।
यह शादी नहीं चाइल्ड रेप है
ये एक ही परिवार की कहानी नहीं है। अफगानिस्तान में ऐसी कई दर्दनाक कहानियां सामने आ रही है। इन बच्चियों को अक्सर नौकर या गुलाम की तरह ट्रीट किया जाता है। अफगानिस्तान की वीमेन राइट्स कैंपेनर और वीमेन एंड पीस स्टडीज ऑर्गनाइजेशन की फाउंडर बताती है कि यह कोई शादी नहीं है बल्कि एक चाइल्ड रेप हैं। ऐसी कहानियां रोज सुनने को मिलती है। यहां तो 10 साल की बच्चियों की शादी की खबरें सामने आती है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोग अपने परिवार का पेट पालने के लिए 20-20 दिनों की बच्चियों का सौदा तय कर देते हैं, जिससे उनकी आर्थिक मदद हो सके।
‘बच्चियों के साथ होता है गुलाम या नौकर की तरह बर्ताव’
अफगानिस्तान में लोग अपना कर्ज और पेट पालने के लिए अपनी बच्चियों को बेच रहे हैं। यहां 500 से 2000 डॉलर्स के बीच वजमा आगे बताता है कि एक शख्स ने अपनी 9 साल की बेटी को किराया नहीं चुका पाने के कारण मकानमालिक को बेच दिया। ऐसी ही दूसरी घटना है बच्चों की परवरिश नहीं कर पाने की वजह से एक शख्स ने 5 बच्चों को मस्जिद में छोड़ दिया था। इनमें से तीन बच्चियां जो 13 साल से कम उम्र की थी, उसी दिन उन्हें बेच दिया गया था. ये बेहद दर्दनाक कहानियां हैं. इन बच्चियों को अफगानिस्तान की 97 फीसदी आबादी हो सकती है।
विदेशों में अफगान संपत्ति के अरबों डॉलर्स फंसे
कट्टरपंथी समूह तालिबान की अचानक सत्ता में वापसी से विदेशों में अफगान संपत्ति के अरबों डॉलर्स फंस चुके हैं और अधिकांश अंतरराष्ट्रीय सहायता रुक गई है। भोजन की कीमतें आसमान छू रही हैं और लाखों लोग बेरोजगार हैं या उन्हें भुगतान नहीं किया गया है।
यूएन एजेंसियों का कहना है कि बदहाल अर्थव्यवस्था और सूखे की मार के चलते अफगानिस्तान आने वाले दिनों में दुनिया के सबसे भयंकर मानवीय संकट से जूझता दिखाई देगा और साल 2022 के मध्य तक इस देश की 97 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे जा सकती है।