हाईवे किनारे ढाबों और शराब दुकानों से हो रहे हादसे, हाई कोर्ट सख्त: राज्य सरकार, NTPC और SECL से मांगा जवाब

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य में बढ़ते सड़क हादसों पर सख्त रुख अपनाते हुए बुधवार को जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने हाईवे किनारे शराब दुकानों, अतिक्रमण कर बनाए गए ढाबों और खुले में फ्लाई ऐश ले जा रहे डंपरों को दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण माना। कोर्ट ने राज्य सरकार, एनटीपीसी और एसईसीएल से जवाब तलब किया है।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सड़कें केवल आवागमन का साधन नहीं हैं, बल्कि ये जनजीवन की सुरक्षा से भी जुड़ी होती हैं, इसलिए दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। पिछले वर्ष कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर जनहित याचिका पर स्वतः संज्ञान लिया था। एडवोकेट रविंद्र शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर रिपोर्ट तैयार करवाई गई।
कमिश्नर की रिपोर्ट में बताया गया कि मुंगेली के सरगांव में हाईवे किनारे अवैध रूप से शराब दुकान और ढाबा संचालित हो रहे हैं। ढाबे के सामने खड़े वाहनों से ट्रैफिक अव्यवस्था बनी रहती है। कोर्ट ने इसे सरकार के नियमों का उल्लंघन बताया, क्योंकि हाईवे से 500 मीटर के दायरे में शराब दुकान प्रतिबंधित है।
कोरबा और सरगुजा जिलों में दुर्घटनाओं में सर्वाधिक वृद्धि हुई है, कोरबा में 25.44% और सरगुजा में 42.25% हादसे बढ़े हैं। यहां भारी संख्या में डंपर चलते हैं। कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि मालवाहक वाहनों में यात्रियों को बैठाना, स्ट्रीट लाइट की कमी और आवारा मवेशी भी दुर्घटनाओं की वजह हैं। एनएचएआई ने जानकारी दी कि बिलासपुर-पथरापाली सेक्शन में 17.95 करोड़ की लागत से पांच फुट ओवर ब्रिज (FOB) बनाए जा रहे हैं। कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर को इस पर जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।