छत्तीसगढ़ में नया नियम होगा लागू, मुआवजे में फर्जीवाड़ा रोकने बड़ा बदलाव

रायपुर। राज्य सरकार ने जमीन अधिग्रहण और मुआवजे की गणना में बड़ा बदलाव किया है। अब मुआवजे की रकम की गणना वर्गमीटर के बजाय हेक्टेयर में की जाएगी। यह नियम इसी महीने से लागू होगा और इसका उद्देश्य मुआवजे में फर्जीवाड़ा रोकना है। इससे पहले भारतमाला प्रोजेक्ट और रेलवे परियोजनाओं में करोड़ों रुपए का मुआवजा फर्जी तरीके से लिया जाता रहा है।
नए नियम के अनुसार, जमीन का मुआवजा डायवर्सन की गई हो या नहीं, इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पहले डायवर्टेड जमीन का मुआवजा बिना डायवर्सन वाली जमीन से लगभग ढाई गुना अधिक होता था, लेकिन अब दोनों के लिए एक ही दर लागू होगी। मौजूदा अधिग्रहण नियम के तहत 500 वर्गमीटर से कम जमीन पर अधिक मुआवजा मिलता है और 500 वर्गमीटर से अधिक जमीन पर कम।
उदाहरण के तौर पर, एक एकड़ जमीन का मुआवजा 20 लाख रुपये होता है, लेकिन अगर इसे छोटे टुकड़ों में बांटकर 500 वर्गमीटर से कम किया जाए तो मुआवजा बढ़कर 1 करोड़ तक पहुंच सकता है। इसका कारण यह है कि छोटे टुकड़ों में जमीन का मूल्य कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार बाजार मूल्य के बराबर माना जाता था। इसके अलावा, मुआवजे की रकम टैक्स फ्री होती थी, जिससे लाभ और बढ़ जाता था।
छत्तीसगढ़ की कैबिनेट ने इस मामले में फैसला करते हुए राज्यभर में जमीन मुआवजे की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की है। अब कोई भी व्यक्ति जमीन को टुकड़ों में बांटकर या डायवर्सन दिखाकर अधिक मुआवजा नहीं ले सकेगा। फाइनेंशियल और आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि इस नए नियम से केंद्र सरकार की जमीन से संबंधित योजनाएं भी समय पर पूरी होंगी और राज्य में मुआवजे से जुड़े मामलों में फर्जीवाड़े की संभावना खत्म हो जाएगी। यह कदम न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगा बल्कि किसानों और जनता के हित की रक्षा भी करेगा।