शराब घोटाला: भाटिया, जायसवाल और केडिया ने बेची अवैध शराब, सिंडिकेट को दिए 431 करोड़

रायपुर। चर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की शिकायत में राज्य के तीन बड़े शराब कारोबारियों भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया, राजेंद्र जायसवाल और नवीन केडिया के नाम सामने आए हैं।
एजेंसियों के मुताबिक ये तीनों घोटाले के लिए बनाए गए सिंडिकेट का हिस्सा थे और इन्होंने अपनी-अपनी डिस्टलरियों से बिना होलोग्राम लगी अवैध शराब की सप्लाई की।
जांच में खुलासा हुआ है कि यह शराब सीधे सरकारी दुकानों तक पहुंचाई जाती थी और उसकी बिक्री वहीं से होती थी, लेकिन इसका कोई रिकॉर्ड सरकारी सिस्टम में दर्ज नहीं किया जाता था।
बिक्री से मिलने वाला पूरा पैसा सिंडिकेट तक पहुंचता था, जिसमें तीनों कारोबारियों को बड़ा मुनाफा होता था। तीनों ने यह कबूल किया है कि उन्होंने सिंडिकेट चलाने वालों और आबकारी अधिकारियों को कुल 431 करोड़ रुपए कमीशन के तौर पर दिए। इसके अलावा लाइसेंस नवीनीकरण के नाम पर शासन को 52 करोड़ रुपए अलग से दिए गए।
एजेंसियों का दावा है कि भाटिया वाइंस मर्चेंट के मालिक भूपेंद्र भाटिया, छत्तीसगढ़ डिस्टलरी के मालिक नवीन केडिया और वेलकम डिस्टलरी के मालिक राजेंद्र जायसवाल की एक होटल में बैठक हुई थी, जिसमें सिंडिकेट के प्रभावशाली लोग मौजूद थे। यहीं मुनाफे के बंटवारे और कमीशन की राशि तय हुई थी। सबसे बड़ी जिम्मेदारी नवीन केडिया को सौंपी गई थी।
अवैध कमाई के लिए शराब नीति में बदलाव कर ठेके दिए गए। डुप्लीकेट होलोग्राम छापकर सीधे डिस्टलरियों में भेजे गए और बोतलों पर लगाए गए। फैक्ट्रियों से यह शराब सरकारी दुकानों में बिना एंट्री के पहुंचती थी। दुकानों में इसके लिए अलग गल्ला रखा जाता था और पैसा बोरी व कार्टून में भरकर सिंडिकेट तक पहुंचाया जाता था।
कमीशन का ब्योरा भी सामने आया है। भूपेंद्र भाटिया ने 101.56 करोड़, नवीन केडिया ने 243.72 करोड़ और राजेंद्र जायसवाल ने 82.26 करोड़ रुपए कमीशन दिया। हवाला के जरिए करोड़ों रुपए दुबई, नीदरलैंड और लंदन तक भेजे गए। फिलहाल तीनों आरोपी बनाए गए हैं, लेकिन अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।





