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अरुणाचल में जासूसी नेटवर्क का खुलासा, पाकिस्तानी कनेक्शन की जांच तेज

दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में जासूसी नेटवर्क के खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। पुलिस ने पिछले 10 दिनों के भीतर पाकिस्तान से जुड़े जासूसी नेटवर्क के 4 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि ये लोग सेना की गतिविधियों और अन्य संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तानी हैंडलर्स तक पहुंचा रहे थे। शुरुआती जांच में इस नेटवर्क के चीन से जुड़े होने के संकेत भी मिले हैं, जिससे मामला और गंभीर हो गया है।

इसी बीच, स्थानीय लोगों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास चीनी सेना की गतिविधियों और संभावित घुसपैठ की जानकारी दी है। ग्रामीणों का दावा है कि अंजाव जिले के कपापु क्षेत्र में चीनी सेना ने सितंबर 2024 से करीब 60 किलोमीटर अंदर तक अस्थायी कैंप बनाए हैं। हालांकि, सरकार की ओर से इन गतिविधियों को ‘ओवरलैपिंग पेट्रोलिंग’ बताया जा रहा है।

सुरक्षा विशेषज्ञ इस पूरे घटनाक्रम को ‘हाइब्रिड वॉर’ की रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं, जिसमें जासूसी, घुसपैठ और सैन्य दबाव को एक साथ इस्तेमाल किया जाता है। राज्य के गृह मंत्री मामा नातुंग ने स्पष्ट कहा है कि जासूसी गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

जांच एजेंसियों के अनुसार, पकड़े गए संदिग्ध स्थानीय समुदायों में घुल-मिलकर स्लीपर सेल खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे। कुछ बांग्लादेशी युवकों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। 11 दिसंबर को ईटानगर से जम्मू-कश्मीर के दो युवकों को गिरफ्तार किया गया था, जो कंबल विक्रेता बनकर घूम रहे थे और एन्क्रिप्टेड टेलीग्राम चैनलों के जरिए संपर्क में थे।

एजेंसियों का मानना है कि यह नेटवर्क असम तक फैला हो सकता है। पूर्वोत्तर के कई इलाकों में तलाशी और जांच अभियान तेज कर दिए गए हैं। इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा अहम अलर्ट माना जा रहा है, जिस पर लगातार नजर रखी जा रही है।

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