नक्सल संगठन ने राज्य सरकारों को लिखा पत्र, कहा हम सरेंडर करना चाहते हैं; 15 फरवरी तक समय दें

जगदलपुर। नक्सल गतिविधियों पर बड़ी खबर सामने आई है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की महाराष्ट्र–मध्यप्रदेश–छत्तीसगढ़ स्पेशल जोनल कमेटी (MMC जोन) ने तीनों राज्य सरकारों को पत्र लिखकर हथियार त्यागने और संघर्ष विराम की औपचारिक पेशकश की है। संगठन ने कहा है कि वह आत्मसमर्पण कर शांति प्रक्रिया में शामिल होना चाहता है, जिसके लिए 15 फरवरी तक का समय दिया जाए ताकि यह संदेश जंगलों के अंदर मौजूद बाकी साथियों तक पहुंचाया जा सके।
संगठन के प्रवक्ता अनंत द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, केंद्रीय कमेटी (CCM) ने बदलते हालात की समीक्षा की है और महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। विज्ञप्ति में बताया गया कि केंद्रीय कमेटी के सदस्य और पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू दादा ने तत्काल प्रभाव से हथियार छोड़कर अस्थायी संघर्ष विराम लागू करने का प्रस्ताव रखा, जिसे बाकी सदस्यों का भी पूरा समर्थन मिला है।
पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस बार शहीदी सप्ताह और पीजीएलए सप्ताह नहीं मनाया जाएगा। संगठन ने भरोसा दिलाया है कि वे सरकार की पुनर्वास नीति को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते सरकार इसके लिए सुरक्षित और अनुकूल माहौल बनाए।
माओवादी संगठन ने तीनों राज्य सरकारों से अनुरोध किया है कि वे पत्र का सकारात्मक जवाब दें ताकि बातचीत की प्रक्रिया शुरू की जा सके। प्रवक्ता अनंत ने कहा कि संघर्ष विराम का उद्देश्य संवाद स्थापित कर जनता से जुड़े मूल मुद्दों का समाधान खोजने की दिशा में आगे बढ़ना है। यदि सरकारें सहयोग करती हैं तो एक स्थायी समाधान की राह खुल सकती है, अन्यथा पार्टी परिस्थितियों के अनुसार आगे की रणनीति खुद तय करेगी।
यह पहल उस समय आई है जब केंद्र और राज्य सरकारों ने माओवाद समाप्त करने के लिए 31 मार्च की डेडलाइन तय की है। ऐसे में यह प्रस्ताव माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।




