अल-फलाह की लैब से केमिकल बाहर ले जाने का शक: रिकॉर्ड में गड़बड़ी, NIA की जांच में नए खुलासे

दिल्ली। दिल्ली ब्लास्ट की जांच अब एक नए मोड़ पर आ गई है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी की लैब से केमिकल और ग्लासवेयर बाहर ले जाए जाने का संदेह गहरा गया है।
जांच एजेंसी NIA को लैब रिकॉर्ड में कई विसंगतियां मिली हैं—कांच के सामान की एंट्री तो दर्ज है, लेकिन खपत, टूट-फूट या उपयोग का कोई विवरण नहीं। छोटे-छोटे बैचों में उठाया गया यह सामान शैक्षणिक गतिविधियों के नाम पर बाहर ले जाया गया हो, ऐसा शक जताया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक बाहर ले जाए गए ग्लासवेयर और छोटे कंटेनर विस्फोटक तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले सटीक मिश्रण और स्टेबलाइजेशन टेस्टिंग के लिए उपयोग में आते हैं। इसी वजह से NIA ने डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन और डॉ. अदील से आमने-सामने पूछताछ शुरू की है। एजेंसियों का मानना है कि यह पूरा मॉड्यूल ‘हाई-इंटेलेक्ट साइंटिफिक नेटवर्क’ था, जिसने मेडिकल शिक्षा को ढाल बनाकर रसायन जुटाए।
10 नवंबर को लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार ब्लास्ट में 15 लोगों की मौत और 20 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस केस में अब तक 6 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। जम्मू-कश्मीर में भी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के लॉकरों की तलाशी तेज कर दी गई है, ताकि किसी भी तरह के दुरुपयोग को रोका जा सके।
जांच में यह भी सामने आया कि जैश-ए-मोहम्मद के पाकिस्तानी हैंडलर ने आरोपी डॉ. मुजम्मिल को बम बनाने के 42 वीडियो भेजे थे। वहीं, फरीदाबाद के धौज में एक टैक्सी ड्राइवर के घर से बरामद आटा चक्की और मशीनों का उपयोग यूरिया को पीसने और रिफाइन करने के लिए किया जाता था। इसी यूरिया और लैब से चुराए गए केमिकल की मदद से विस्फोटक तैयार होता था।
NIA अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस मॉड्यूल ने अस्पतालों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में कितनी गहरी पैठ बनाई और हथियारों की सप्लाई चेन कितनी दूर तक फैली हुई थी।





