SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई, केरल सरकार ने प्रक्रिया रोकने की मांग की

दिल्ली। स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर जारी विवाद आज सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर पहुंचेगा। अदालत केरल सरकार की उस याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसमें राज्य ने SIR प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की है।
केरल में दिसंबर के दूसरे सप्ताह में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं। राज्य का तर्क है कि कर्मचारियों की भारी कमी के बीच चुनाव और SIR को एक साथ कराना बेहद कठिन है और इससे मतदाता सूची के सत्यापन की गुणवत्ता प्रभावित होगी। सरकार ने कहा कि जल्दबाजी में किया गया सत्यापन मताधिकार जैसे संवैधानिक अधिकार को कमजोर करता है।
केरल सरकार का यह भी कहना है कि 21 दिसंबर तक स्थानीय निकाय चुनाव पूरे किए जाने हैं और मई 2026 तक विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। ऐसे में इस स्तर पर SIR कराने की आवश्यकता नहीं है। केरल के अलावा तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और इंडियन मुस्लिम यूनियन लीग भी SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुके हैं। कुल मिलाकर SIR को चुनौती देने वाली 10 से अधिक याचिकाएं कोर्ट में लंबित हैं।
इधर चुनाव आयोग का पक्ष है कि SIR एक राष्ट्रीय प्रक्रिया है और 12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 99% से अधिक वोटर्स को SIR फेज-II के एन्यूमरेशन फॉर्म दिए जा चुके हैं। 10 करोड़ से ज्यादा फॉर्म डिजिटाइज भी हो चुके हैं। इसी तर्क के आधार पर केरल हाईकोर्ट ने पहले निर्णय देने से यह कहते हुए इनकार किया कि समान मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
इस बीच गुजरात के खेड़ा जिले में SIR का दबाव एक BLO की जान पर भारी पड़ गया। कपड़वंज तालुका के जम्बूडी गांव के BLO रमेशभाई परमार की हार्ट अटैक से मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अत्यधिक काम के दबाव और देर रात तक पेपरवर्क करने के कारण उनकी हालत बिगड़ी। परमार की बेटी ने भी कहा कि SIR से जुड़ा तनाव ही उनके पिता की मौत की वजह बना। वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर बढ़ते विवाद और मानव संसाधन पर बढ़ते बोझ ने SIR प्रक्रिया को राष्ट्रीय बहस का विषय बना दिया है।



