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अमित बघेल के खिलाफ अखिल भारतीय संत समिति ने निंदा प्रस्ताव किया पारित

रायपुर। छत्तीसगढ़ में लगातार विवादित बयानों और गतिविधियों के चलते जय जोहार पार्टी के अमित बघेल एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। अखिल भारतीय संत समिति (छत्तीसगढ़ शाखा) ने सोमवार को रायपुर के दूधाधारी मठ में हुई विशेष बैठक में अमित बघेल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया है।

संत समिति ने कहा कि बघेल छत्तीसगढ़ियावाद के नाम पर समाज में भ्रम और वैमनस्य फैलाने का कार्य कर रहे हैं। बैठक में महंत रामसुंदर दास, राजीव लोचन महाराज, महा मंडलेश्वर सर्वेश्वर दास,  रामरूप दास, सीताराम दास, बसंत बिहारी दास, राधामोहन दास, अवधबिहारी दास, संत युधिष्ठर लाल समेत छत्तीसगढ़ी और सिंधी समाज के संत मौजूद थे। 

समिति ने आरोप लगाया कि अमित बघेल ने राजिम कंभ कल्प की मनगढ़ंत व्याख्या करते हुए धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। साथ ही उन्होंने एक राष्ट्र–एक विधान–एक संविधान के संकल्प को लेकर चलने वाले अमर बलिदानी श्यामा प्रसाद मुखर्जी और भगवान श्री अग्रसेन महाराज के प्रति अपमानजनक टिप्पणी की। इतना ही नहीं, संत समिति ने यह भी कहा कि बघेल ने भगवान वरुण (झूलेलाल) की मूर्ति के प्रति अमर्यादित कृत्य करने की बात कही थी, जो “धर्मद्रोह” की श्रेणी में आता है।

बैठक में उपस्थित सभी संतों और महंतों ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित करते हुए बघेल को “धर्मविरोधी और समाजविघातक” बताया। समिति ने छत्तीसगढ़ शासन से मांग की है कि अमित बघेल पर तत्काल कानूनी कार्रवाई करते हुए कठोर से कठोर दंड दिया जाए। बैठक में प्रदेश के प्रमुख संतों और महंतों ने भाग लिया और जनता से अपील की कि वे ऐसे व्यक्तियों के “भ्रमजाल” में न फँसें, जो समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। संत समिति ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा और धर्म की मर्यादा की रक्षा के लिए यह प्रस्ताव आवश्यक था।

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