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मेकाहारा के मेन गेट पर प्राइवेट एंबुलेंस चालकों की गुंडागर्दी, मरीज के परिजन से मारपीट

रायपुर। राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा) में प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों की मनमानी और दादागिरी खुलेआम जारी है। बुधवार देर रात गेट नंबर-1 पर मरीज के परिजन (अटेंडर) और एंबुलेंस चालकों के बीच विवाद मारपीट में बदल गया। आरोप है कि संचालकों ने परिजन को पीटते हुए चाकू दिखाकर जान से मारने की धमकी दी।

सूचना मिलते ही अस्पताल चौकी के पुलिसकर्मी और मौदहापारा थाने की पेट्रोलिंग टीम मौके पर पहुंची और मामला शांत कराया। पुलिस के अनुसार, बलौदाबाजार से आए कुछ अटेंडर चाय पी रहे थे, तभी एंबुलेंस चालकों ने विवाद शुरू किया और मारपीट कर दी। अगले दिन दोनों पक्षों ने थाने में समझौता कर लिया, लेकिन सवाल यह बना हुआ है कि — आखिर इन एंबुलेंस चालकों को अस्पताल परिसर में गाड़ियां खड़ी करने की अनुमति किसने दी?

भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि अस्पताल के मेन गेट पर दर्जनों प्राइवेट एंबुलेंस और ऑटो रिक्शा चालक हर वक्त डेरा डाले रहते हैं। इन पर न कोई निगरानी है, न किराए की दर तय। एक एंबुलेंस चालक ने केवल 3 किलोमीटर दूरी के लिए 500 रुपए मांगे, जबकि धमतरी ले जाने के लिए 4000 रुपए तक की मांग की।

सूत्रों के अनुसार, अस्पताल में कुछ निजी अस्पतालों के एजेंट भी सक्रिय हैं, जो परेशान परिजनों को बहकाकर अपने बॉन्डेड अस्पतालों में इलाज कराने ले जाते हैं और बदले में कमीशन पाते हैं। अस्पताल में ऐसे तीन एजेंटों के सक्रिय होने की जानकारी मिली है।

जानकारी यह भी मिली है कि कुछ महीने पहले इन चालकों ने “मेकाहारा एंबुलेंस संघ” नाम से एक ग्रुप भी बना लिया था, जिसे लेकर प्रबंधन ने आपत्ति जताई थी।

अस्पताल अधीक्षक संतोष सोनकर ने बताया कि अस्पताल परिसर में किसी भी प्राइवेट एंबुलेंस को खड़ा करने की अनुमति नहीं है। पुलिस को गेट के पास से सभी एंबुलेंस हटाने के लिए पत्र लिखा गया है।

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