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देश के आधे सांसद-विधायकों पर आपराधिक केस, महिलाओं से जुड़े अपराधों में पश्चिम बंगाल सबसे आगे

दिल्ली। केंद्र सरकार ने संसद में 130वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया है। इसके अनुसार यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तार होकर 30 दिन से अधिक समय तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें पद से हटाया जा सकेगा। यह कदम इसलिए अहम है क्योंकि देश में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में 45% विधायक और 46% सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 29% विधायक और 31% सांसद गंभीर अपराधों से जुड़े केस झेल रहे हैं। महिलाओं से जुड़े अपराधों में पश्चिम बंगाल सबसे आगे है, जबकि आंध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर है।

राज्यों की स्थिति देखें तो आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके बाद केरल, तेलंगाना और बिहार का स्थान है। यह स्थिति लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है, क्योंकि जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले कई नेता खुद कानून के शिकंजे में हैं।

आंकड़ों से साफ है कि पिछले 15 सालों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसद लगातार बढ़े हैं। 2009 में ऐसे सांसद 30% थे, 2014 में यह आंकड़ा एक-तिहाई तक पहुंचा। 2019 में 43% सांसद आपराधिक मामलों में शामिल थे, जबकि 29% पर गंभीर आरोप थे। 2024 के आम चुनावों के बाद यह संख्या और बढ़कर 46% हो गई। यह प्रवृत्ति बताती है कि राजनीति में अपराधीकरण लगातार गहराता जा रहा है। ऐसे में नए संशोधन विधेयक को चुनाव सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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