मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सौर ऊर्जा से समृद्धि की ओर बढ़ता छत्तीसगढ़

रायपुर। रजत जयंती वर्ष मना रहा छत्तीसगढ़ अब नई पहचान गढ़ रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य पारंपरिक खनिज और वन संसाधनों के साथ-साथ अब सौर ऊर्जा का नया हब बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और राज्य सरकार की डबल सब्सिडी नीति ने छत्तीसगढ़ को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की राह पर ऐतिहासिक कदम उठाने का मौका दिया है।
योजना का उद्देश्य हर घर की छत पर सोलर पैनल लगाकर स्वच्छ और निःशुल्क बिजली उपलब्ध कराना है। केंद्र सरकार पहले ही 60% तक सब्सिडी देती है, वहीं राज्य सरकार अतिरिक्त सहयोग जोड़कर उपभोक्ताओं को डबल लाभ पहुँचा रही है। इससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार भी आसानी से सोलर पैनल लगा पा रहे हैं।
सरकार ने बैंकिंग संस्थानों से करार कर ऋण सुविधा भी सुनिश्चित की है। उपभोक्ताओं को 6.5% ब्याज दर पर दस साल तक लोन मिलेगा, जिसकी ईएमआई बिजली बिल से भी कम होगी। यानी उपभोक्ता बिजली का बिल चुकाने की बजाय किश्तें भरकर कुछ वर्षों में जीवनभर मुफ्त बिजली का लाभ ले सकेगा।
योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि उपभोक्ता अब सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि ऊर्जा उत्पादक भी है। घर में जरूरत से अधिक बनी बिजली डिस्कॉम को बेचकर अतिरिक्त आमदनी का स्रोत बन रही है। औसतन 2 किलोवाट प्लांट 200 यूनिट से ज्यादा मासिक उत्पादन देता है, जिससे परिवार 25 साल तक लाभान्वित हो सकता है।
ग्रामीण इलाकों में किसान सिंचाई और छोटे उद्योगों में सौर ऊर्जा से नई दिशा पा रहे हैं, जबकि शहरी उपभोक्ताओं के बिजली बिल लगभग शून्य हो रहे हैं। इससे हरित जीवनशैली और रोजगार अवसर दोनों को बढ़ावा मिल रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का विजन है। अगले पाँच वर्षों में हर घर की छत पर सौर पैनल हो और छत्तीसगढ़ पूरे भारत के लिए ग्रीन एनर्जी मॉडल बने। रजत जयंती वर्ष में छत्तीसगढ़ की नई पहचान तय हो रही है— “खनिज और वनों का राज्य” से आगे बढ़कर अब “सौर ऊर्जा का राज्य”।