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डीएमएफ घोटाला: पूर्व सहायक आयुक्त माया वारियर सहित 8 पर एफआईआर दर्ज

कोरबा। छत्तीसगढ़ में खनिज न्यास मद (डीएमएफ) घोटाले का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में पूर्व सहायक आयुक्त माया वारियर, तत्कालीन सहायक अभियंता अजीत कुमार तिग्गा, उप अभियंता राकेश वर्मा, डाटा एंट्री ऑपरेटर कुश कुमार देवांगन और चार ठेकेदार कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। कांग्रेस शासनकाल में हुए इस लगभग 400 करोड़ रुपये के घोटाले में मुख्य आरोपी माया वारियर पहले से ही जेल में बंद हैं।

जांच में सामने आया कि वर्ष 2021-22 में कोरबा जिले के जर्जर छात्रावासों और आश्रमों की मरम्मत के लिए केंद्र सरकार से राशि स्वीकृत की गई थी। उस समय कलेक्टर रानू साहू के निर्देश पर माया वारियर को आदिवासी विकास विभाग कोरबा में सहायक आयुक्त बनाया गया। इसी दौरान डीएमएफ फंड में आर्थिक अनियमितताओं का खेल शुरू हुआ।

रिपोर्ट के अनुसार, छात्रावासों के जीर्णोद्धार हेतु केंद्र से धनराशि मिलने के बावजूद डीएमएफ मद से भी उसी काम को स्वीकृति दे दी गई। इस योजना के लिए 80 लाख रुपये आवंटित हुए। सांई ट्रेडर्स, पालीवाल बुक डिपो, श्री सांई कृपा बिल्डर्स, एसएसए कंस्ट्रक्शन और बालाजी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कंपनियों को ठेका दिया गया। लेकिन चार कार्य शुरू ही नहीं हुए और भुगतान कर दिया गया, जबकि शेष कार्य बेहद खराब गुणवत्ता वाले रहे।

अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से बिना भौतिक सत्यापन किए ही भुगतान कर दिया गया। प्रशासनिक जांच में यह भी खुलासा हुआ कि 80 लाख के कार्य कागजों में दिखाए गए, जबकि अधिकांश धरातल पर हुए ही नहीं। अनुबंध शर्तों के अनुसार एक माह में काम पूरा होना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कलेक्टर के निर्देश पर सिविल लाइन थाना रामपुर में सभी दोषियों के खिलाफ आर्थिक अनियमितता और सरकारी दस्तावेज गायब करने का प्रकरण दर्ज किया गया है। पुलिस अब आरोपियों की भूमिका और धनराशि के लेन-देन की विस्तृत जांच में जुटी है।

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