वेतन निर्धारण शाखा की गलती से मिले अधिक वेतन की नहीं होगी वसूली: हाईकोर्ट

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शासकीय तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को राहत देते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि किसी कर्मचारी को वेतन निर्धारण शाखा की गलती से अधिक वेतन प्राप्त हुआ है, तो उस राशि की उनसे वसूली नहीं की जा सकती। यह निर्णय दुर्ग जिले के बघेरा एसटीएफ में पदस्थ आरक्षक दिव्य कुमार साहू व अन्य कर्मचारियों की याचिका पर सुनाया गया।
वेतन निर्धारण में हुई त्रुटियों के चलते कर्मचारियों को अधिक राशि का भुगतान हुआ था, जिसे बाद में वसूली आदेश के तहत वेतन से काटा जा रहा था। इस आदेश को चुनौती देते हुए आरक्षकों ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय और स्वाति कुमारी के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। पहले सिंगल बेंच ने वसूली आदेश को निरस्त किया था, लेकिन राज्य सरकार ने इस निर्णय को डिवीजन बेंच में चुनौती दी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के 2015 के फैसले (स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रफीक मसीह) का हवाला देते हुए राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि विभागीय गलती से हुए अधिक भुगतान की जिम्मेदारी कर्मचारी की नहीं मानी जा सकती। कोर्ट ने आदेश दिया कि यदि वेतन से कोई राशि वसूली गई है, तो उसे 6% वार्षिक ब्याज सहित लौटाया जाए। यह फैसला न सिर्फ आरक्षकों के लिए राहत है, बल्कि राज्यभर के तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के हितों की रक्षा करता है, और सरकारी व्यवस्था की जवाबदेही तय करता है।