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जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दी याचिका, बोले- नोट मिलना मेरा दोष साबित नहीं करता

दिल्ली। लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी आवास से भारी मात्रा में जली नकदी मिलने के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। संसद के मानसून सत्र से ठीक तीन दिन पहले 18 जुलाई को दायर याचिका में उन्होंने इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश को रद्द करने की मांग की है।

जस्टिस वर्मा का तर्क है कि नकदी उनके आवास के बाहरी हिस्से में मिली, जिससे यह साबित नहीं होता कि वे खुद दोषी हैं। उनका कहना है कि समिति ने यह नहीं बताया कि नकदी कहां से आई, किसकी थी और आग कैसे लगी। उन्होंने याचिका में समिति के निष्कर्षों पर सवाल उठाए हैं और 5 अहम सवालों के जवाब मांगे हैं।

याचिका में 10 कानूनी तर्क भी दिए गए हैं। इनमें कहा गया है कि समिति ने बिना औपचारिक शिकायत के जांच शुरू की, उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया, गवाहों से उनकी अनुपस्थिति में पूछताछ हुई और रिपोर्ट लीक कर दी गई। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया अनुच्छेद 124 और 218 का उल्लंघन है और यह उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन करती है।

14 मार्च को वर्मा के घर आग लगी थी और 23 मार्च को 500-500 के जले नोटों के बोरे बरामद हुए। UGC समिति, दिल्ली पुलिस, फायर सर्विस और CRPF के बयान दर्ज किए गए। समिति ने कहा कि नकदी उनके स्टाफ द्वारा निकाली गई थी, CCTV में यह स्पष्ट दिखा। जस्टिस वर्मा की बेटी ने गवाहों की पहचान से इनकार किया, जबकि वीडियो से आवाज का मिलान हो चुका था। अब सरकार और विपक्ष दोनों महाभियोग प्रस्ताव पर सहमत दिख रहे हैं। कांग्रेस ने भी समर्थन की घोषणा कर दी है। मामला अब संसद की कार्यवाही में उठेगा।

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